सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने से मना कर दिया। दरअसल, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निराधार आरोप लगाने को लेकर 25 लाख का कठोर जुर्माना एक शख्स पर लगाया था। जिसको लेकर शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। हालांकि अब शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुपीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए और लोगों के बीच ‘स्पष्ट संदेश’ जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील को जस्टिस एएम खानविल्कर व जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। इस मामले को लेकर हम बहुत ही स्पष्ट हैं। इसको रोकना होगा। हम चाहते हैं कि बहुत ही सख्त संदेश जाए। इस दौरान वकील की तरफ से पीठ से ‘उदारता’ दिखाने की मांग की गई।
याचिका के कहा गया कि मैं (याचिकाकर्ता) सेवानिवृत्त पेंशनधारी हूं। अदालत में मैं अपनी एक महीने की पेंशन जमा कर दूंगा। कृपया उदारता दिखाएं। अपनी गलती को मैंने महसूस कर लिया। 25 लाख रुपये का जुर्माना असंगत और कठोर है।’
मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ अवमानना कार्रवाई हमें करनी चाहिए, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।
बता दें कि 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया। साथ ही कहा था कि उत्तराखंड हाईकोर्ट और राज्य सरकार के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आवेदन में जो टिप्पणियां की गई, वो अस्वीकार्य और उसमें लगाए आरोप निराधार हैं। कोर्ट की तरफ से कहा गया था कि 4 हफ्ते में जुर्माने की राशि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा नहीं कराई, तो याचिकाकर्ता से जुर्माने की ये राशि हरिद्वार के कलेक्ट वसूलेंगे।