Who Is Tahawwur Rana: 2008 के मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार भारत लाया जा चुका है। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा (64 वर्षीय) को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया है। राणा पर मुंबई हमलों की साजिश रचने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है। उसे एक विशेष विमान से भारत लाया गया, जहां भारतीय अधिकारियों ने उसे हिरासत में ले लिया और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
तहव्वुर राणा का व्यक्तिगत जीवन और शिक्षा– Who Is Tahawwur Rana
तहव्वुर राणा का जन्म 12 फरवरी, 1961 को पाकिस्तान के चिचावतनी, पंजाब में हुआ था। उसने अपनी शुरुआती पढ़ाई पाकिस्तानी कैडेट कॉलेज हसन अब्दल से की, जो कि एक प्रमुख सैन्य स्कूल है। यहां उसकी दोस्ती डेविड कोलमेन हेडली से हुई, जो बाद में मुंबई हमलों की साजिश में शामिल हुआ। राणा ने मेडिकल की पढ़ाई की और फिर पाकिस्तान सेना की मेडिकल कोर में डॉक्टर के रूप में कार्य किया। उसके बाद, 2001 में वह अपनी पत्नी के साथ कनाडा चले गए और कनाडाई नागरिकता प्राप्त की।
शिकागो में इमिग्रेशन सर्विसेज का कारोबार
कनाडा में नागरिकता प्राप्त करने के बाद, राणा शिकागो में रहने लगा और वहां इमिग्रेशन सर्विसेज का कारोबार शुरू किया। उसने फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नामक एक कंपनी खोली, जिसका उद्देश्य था लोगों को अमेरिका और कनाडा में बसने के लिए मदद करना। हालांकि, इस कानूनी व्यवसाय के पीछे एक और छिपा उद्देश्य था – राणा ने इसे आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक मुखौटे के रूप में इस्तेमाल किया।
मुंबई आतंकी हमलों में राणा की भूमिका
तहव्वुर राणा की भूमिका मुंबई हमलों में महत्वपूर्ण थी। 2008 के मुंबई हमलों की योजना 2005 के आसपास शुरू हुई, जब राणा ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी के साथ मिलकर साजिश रचनी शुरू की। राणा ने अपनी इमिग्रेशन फर्म के मुंबई कार्यालय को जानबूझकर स्थापित किया, जिससे वह मुंबई में लक्षित स्थानों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके।
2008 में, राणा ने अपने पुराने दोस्त डेविड हेडली को भारत में वीजा दिलाने में मदद की और मुंबई में इमिग्रेशन सेंट्रल कार्यालय खोला। राणा और हेडली दोनों ही इस कार्यालय का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए कवर के रूप में कर रहे थे। राणा की साजिश का प्रमुख उद्देश्य आतंकवादी हमलों के लिए मुंबई में रणनीतिक स्थानों की पहचान करना था।
मुंबई हमलों का खौ़फनाक चेहरा
26 नवंबर, 2008 को, दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, और नरीमन हाउस जैसे प्रमुख स्थलों पर हमला किया। इस हमले में 166 लोगों की जान चली गई, जिसमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे, और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। हमले के बाद की घेराबंदी 60 घंटे तक जारी रही, जिसने देश और दुनिया भर में गहरे सदमे को जन्म दिया।
हेडली और राणा की मदद से, आतंकवादियों ने इन स्थानों को निशाना बनाने के लिए गहरी योजना बनाई थी। हेडली ने मुंबई में इन स्थानों की विस्तृत निगरानी की और लश्कर के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर हमले की योजना बनाई।
पाकिस्तान के साथ राणा के संबंध
राणा का पाकिस्तान के साथ गहरा संबंध था। वह पाकिस्तानी सेना में अपनी सेवा देने के बाद कनाडा चला गया, लेकिन उसके संबंध पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों और खुफिया एजेंसी ISI के साथ बने रहे। जांच में यह बात सामने आई कि राणा न केवल एक निष्क्रिय भागीदार था, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय कार्यकर्ता भी था।
राणा और हेडली ने पाकिस्तान में अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए जानबूझकर कदम उठाए, जिससे उनकी आतंकवादी गतिविधियों का पता न चले। हेडली ने कई बार पाकिस्तान यात्रा की और लश्कर के अधिकारियों से मिले, जबकि राणा ने उसे पूरी मदद दी।
कनाडा और अमेरिका में राणा का कनेक्शन
कनाडा की नागरिकता और अमेरिका में रहने के दौरान राणा ने अपनी स्थिति का फायदा उठाया। उसकी कनाडाई नागरिकता ने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता दी, जिससे वह आसानी से यात्रा कर सकता था। शिकागो में उसने अपनी इमिग्रेशन सर्विसेज कंपनी स्थापित की, जो बाद में उसकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए कवर बन गई।
राणा और हेडली की मदद से लश्कर और ISI ने अपनी आतंकवादी साजिश को अंजाम दिया। उनके इमिग्रेशन कारोबार को आतंकवादी गतिविधियों के लिए एक कवर के रूप में इस्तेमाल किया गया।
राणा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और प्रत्यर्पण
2009 में, राणा और हेडली को अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया, और उनके खिलाफ आतंकवादी साजिश रचने का मामला दर्ज किया। अदालत ने 2011 में राणा को दोषी ठहराया, हालांकि वह मुंबई हमलों में प्रत्यक्ष भागीदार के रूप में दोषी नहीं ठहराया गया था। उसे 14 साल की सजा सुनाई गई।
भारत ने लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी। 2019 में, भारत ने अमेरिका को एक राजनयिक नोट भेजा, जिसमें राणा के प्रत्यर्पण की मांग की गई थी। अंततः 2020 में, अमेरिका ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी।
भारत लाए जाने की तैयारियां
भारत ने राणा को कानूनी सजा दिलाने के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर ली हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और खुफिया एजेंसी के अधिकारियों वाली एनआईए की टीम ने राणा को अमेरिका में हिरासत में लेने के लिए कदम उठाए हैं। राणा को जल्द ही भारत लाया जाएगा, जहां उसे एनआईए की हिरासत में रखा जाएगा और मुंबई हमलों के मामले में उससे पूछताछ की जाएगी।
भारत में उसकी गिरफ्तारी और हिरासत के लिए उच्च सुरक्षा व्यवस्था की गई है। राणा की गतिविधियों पर 24/7 निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा उपायों का इंतजाम किया गया है।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण और भारत में उसकी गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में किसी भी प्रकार की समझौता नहीं करेगा। मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक राणा को अंततः भारत में न्याय के दायरे में लाया जाएगा, जिससे शहीदों के परिवारों को न्याय मिलेगा।