किसानों का मुद्दा इस वक्त जोरों पर है। सरकार और किसानों के बीच कृषि कानूनों के मसले पर आठवें दौर की बात तो खत्म हो गई, लेकिन इस बार भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। कृषि कानूनों को किसान वापस लेने की मांग पर अब भी अड़े हैं लेकिन इस बातचीत के बीच जो सबसे दर्दनाक बात सामने आई है वो है आदोलनरत किसानों कि मौत।
जी हां, दिल्ली बॉर्डर पर किसान मर रहे हैं लेकिन इन किसानों का हौसला कम नहीं हो रहा है और ये बिना हिम्मत हारे बॉर्डर पर डटे हैं। इस किसानों की मौत का जिम्मेदार कौन है, आखिर इन मौतों का जवाब कौन देगा। ये सवाल तो मन में उठते होंगे आपके हमारे, लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में सवाल जवाब ट्वीट पर भी किया जा रहा है।
दरअसल, #ModiMurderingFarmers ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा। जानते है इस ट्रेंडिंग के साथ लोग किस तरह के रिएक्शंस दे रहे हैं।
#ModiMurderingFarmers का ट्रेंड करना थोड़ा अजीब है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री के लिए इस तरह की ट्रेंडिग कई सवाल खड़े करता है। तब जब किसान देश की राष्ट्रीय राजधानी के बॉर्डर पर कड़कड़ाती और कंपकंपाती ठंड में दिन-रात अड़े हुए हों केंद्र के लाए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को मनवाने के लिए।
खैर देखते हैं क्या कह रहे हैं ट्विटर पर लोग #ModiMurderingFarmers के जरिए।
एक यूजर बाबा बख्तावर लिखते हैं- ‘सरकार द्वारा और कितने किसान मारे जाएंगे?#ModiMurderingFarmers’। इस ट्वीट के साथ यूजर एक फोटो भी पोस्ट करते हैं जिसमें कई लोगों के चेहरे दिख रहे हैं।
वहीं वीरा कौर ब्रार लिखते हैं- ‘वो सिर्फ अपनी जमीन बचाने के लिए नहीं लड़ रहे, बल्कि वो संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। भारतीय किसान मोदी सरकार के हाथों पीड़ित हैं। वो इतनी ठंड में बैठे हैं।’ इस दौरान उन्होनें संयुक्त राष्ट्र को भी ट्वीट में टैग करके किसानों का साथ देने की अपील की।
लखविंदर सिंह लिखते हैं- ‘मोदी आपको इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हर जान की कीमत होती है।’
पंजाबली नाम के एक यूजर अपने ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र करते हुए लिखा- ‘आदरणीय मनमोहन सिंह जी, आप कब किसानों का साथ देने के लिए आगे आएंगे? कृप्या जल्दी आए..किसानों को आपके समर्थन की सख्त जरूरत है।’ इसके अलावा उन्होंने अपने इस ट्वीट में मनमोहन सिंह और गुरशरण कौर जैसे लोगों को टैग भी किया।
सोशल मीडिया के दौर में ट्वीट्स का दौर तो जारी रहेगा लेकिन सवाल वही है कि सरकार कब एक पुख्ता कदम उठाएगी इन आंदोलनरत किसानों के लिए जिनमें कई तो अब इस दुनिया में भी नहीं रहे।