इनहेरिटेंस टैक्स (What is Inheritance Tax) हिंदी में विरासत कर इस शब्द को लेकर राजनीतिक गलियारों में बवाल मचा हुआ है। ये हंगामा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के बयान से शुरू हुआ। दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा था कि अगर चुनाव के बाद उनकी सरकार सत्ता में आती है तो सर्वे कराया जाएगा और पता लगाया जाएगा कि किसके पास कितनी संपत्ति है।
राहुल गांधी के इस बयान के बारे में जब सैम पित्रोदा से पूछा गया तो उन्होंने अमेरिका के शिकागो में इनहेरिटेंस टैक्स की बात करते हुए भारत में भी ऐसा ही कानून लाने की वकालत की। जिसके बाद यह चर्चा का विषय बन गया है। ऐसे में ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि ये कानून क्या है, कब और कैसे लगाया जाता है और कितना लगाया जाता है। तो आइए हम आपको पूरी जानकारी देते हैं।
क्या होता है विरासत टैक्स – What is Inheritance Tax
विरासत कर वास्तव में एक कर है जो संपत्ति पर लगाया जाता है, लेकिन यह संपत्ति टैक्स नहीं है। इनहेरिटेंस टैक्स का जिक्र मुख्य रूप से अमेरिका में कई बार किया जाता है। अमेरिकी परिभाषा के अनुसार यह वह कर है जो उस संपत्ति पर लगाया जाता है जो किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारियों को मिलती है। खास बात यह है कि यह टैक्स विरासत में मिली संपत्ति के ट्रांसफर से पहले लगाया जाता है।
अमेरिका में लगता है विरासत टैक्स
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि ‘अमेरिका में विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स लगता है। अमेरिका में अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके बच्चों को उस संपत्ति का केवल 45 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। बाकी 55 फीसदी संपत्ति सरकार के पास जाती है।’
अमेरिका में यह टैक्स दर 40 फीसदी है। इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति ने जीवन भर जो कुछ भी कमाया है, वह पूरी रकम उसके उत्तराधिकारियों को विरासत में नहीं मिल सकती है। अगर वारिसों की संख्या 2 या 3 है तो सबके हिस्से में जितनी संपत्ति आएगी, उसके हिसाब से टैक्स लगेगा।
क्यों लगाया जाता है विरासत कर
अब सवाल यह उठता है कि कई देशों में सरकार द्वारा इतने भारी टैक्स क्यों लगाए जाते हैं? इस तरह के टैक्स लगाने का सरकार का मुख्य उद्देश्य राजस्व उत्पन्न करना है। जब सरकार को पैसा मिलेगा तो वह विकास कार्यों पर अधिक खर्च कर सकेगी और देश प्रगति करेगा। सरकार का एक अन्य उद्देश्य समाज में अधिक पूंजी वितरित करना है। कई देशों की सरकारें चाहती हैं कि सारी पूंजी चंद लोगों के हाथों में सीमित न रह जाये। इसे वेल्थ री-डिस्ट्रिब्यूशन कहा जाता है।
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