पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम काफी पहले से ही चर्चा में रहा है। बंगाल में लेफ्ट पार्टियों के शासन के दौरान नंदीग्राम में हुए आंदोलन (Nandigram Movement) को कौन भूल सकता है। इसी आंदोलन के सहारे ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने प्रदेश की सियासत में एक नया मुकाम पाया था।
नंदीग्राम (Nandigram Movement) में हुए आंदोलन का फायदा आगामी चुनाव में ममता बनर्जी को साफ तौर पर मिला था। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2011 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी ने लेफ्ट पार्टियों को नेस्तनाबूत कर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी।
इस बार भी मेदिनीपुर जिले के अंतर्गत आने वाला नंदीग्राम विधानसभा सीट (Nandigram Seat) काफी चर्चे में है। क्योंकि प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी और उनके पूर्व सहयोगी सुवेंदु अधिकारी बीजेपी के टिकट पर आमने-सामने हैं। तो आइए नंदीग्राम विधानसभा सीट से जुड़े सभी पहलुओं पर गौर करते हैं।
नंदीग्राम में हिंदुओं की आबादी 70 फीसदी
नंदीग्राम विधानसभा (Nandigram Seat) क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 70 फिसदी है, जबकि शेष आबादी मुस्लिमों की है। इस सीट पर काफी पहले से ही मुस्लिम प्रत्याशियों को जीत मिलती आई थी लेकिन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016 में टीएमसी के टिकट पर सुवेंदु अधिकारी ने जीत हासिल की।
बंगाल चुनाव 2006 में पहले और दूसरे नंबर पर रहने वाले दोनों ही उम्मीदवार मुस्लिम थे। जिसके बाद 2009 में हुए उपचुनाव में पहली बार टीएमसी के एक मुस्लिम उम्मीदवार ने इस सीट से जीत हासिल की।
टीएमसी की फिरोजा बीबी ने उपचुनाव में जीत हासिल की और नंदीग्राम में पहली बार टीएमसी का परचम लहराया। जिसके बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2011 में भी फिरोजा बीबी ने इस सीट से जीत हासिल की, तब उन्हें 61.21 फिसदी वोट मिले थे।
सुवेंदु अधिकारी को मिले थे 66 फीसदी वोट
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016 में टीएमसी ने सुवेंदु अधिकारी को मौका दिया और उन्हें 66 फीसदी वोट मिले। तब अधिकारी ने सीपीआई के उम्मीदवार अब्दु ल कबीर शेख को 81230 वोटों को अंतर से हराया था। सुवेंदु अधिकारी को कुल 134623 और सीपीआई के उम्मीदवार अब्दुोल कबीर शेख को 53393 वोट मिले थे। 2016 में नंदीग्राम सीट पर कुल 86.97 फिसदी वोट डाले गए थे।
अपनी पारंपरिक सीट छोड़कर टक्कर दे रही ममता
अब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में खुद ममता बनर्जी बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी से टक्कर ले रही हैं। इस सीट पर दूसरे चरण में 1 अप्रैल को मतदान होना है। दोनों ही उम्मीदवारों के बीच लड़ाई जोरदार होने वाली है। सुवेंदु अधिकारी को हराने के लिए ममता बनर्जी ने इस चुनाव में अपनी पारंपरिक सीट भवानीपुर को छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला लिया। दोनों ही प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।
केमिकल हब की स्थापना को लेकर मचा था बवाल
गौरतलब है कि नंदीग्राम आंदोलन (Nandigram Movement) को हथियार बना कर ममता बनर्जी ने राज्य में लेफ्ट को अपदस्थ करने में सफलता पाई थी। साल 2007 में प्रदेश की तत्कालीन लेफ्ट सरकार ने सलीम ग्रुप को नंदीग्राम में एक केमिकल हब स्थापित करने की अनुमति दी थी। ग्रामीणों ने सरकार के इस फ़ैसले का विरोध किया जिसके परिणामस्वरूप पुलिस के साथ उनकी मुठभेड़ हुई जिसमें 14 ग्रामीण मारे गए और पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगा था।
जिसके बाद लेफ्ट पार्टियों के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ा और उसका सीधा फायदा तत्कालीन विपक्षी पार्टियों को मिला। परिणामस्वरुप तृणमूल कांग्रेस-एसयूसीआई (SUCI) गठबंधन ने नंदीग्राम और आस-पास के क्षेत्रों में सीपीआई (एम) (CPI(M)) और उसके वामपंथी सहयोगियों को हराया। तृणमूल कांग्रेस-एसयूसीआई (SUCI) गठबंधन और कांग्रेस ने, लगभग 30 वर्षों बाद पश्चिम बंगाल के 16 ज़िलों में से 3 जिलों के जिला परिषदों को सीपीआई (एम) (CPI(M)) से छीन लिया।