भारत में वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बनकर उभरा है। वक्फ बोर्ड सशस्त्र बलों और रेलवे के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमींदार है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, इस समय देश में वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं, जो कुल मिलाकर 8 लाख एकड़ से ज्यादा है। सेना की संपत्ति करीब 18 लाख एकड़ जमीन पर है, जबकि रेलवे की चल-अचल संपत्ति करीब 12 लाख एकड़ में फैली हुई है। अब जो आंकड़े सामने आने वाले हैं वो आपको चौंका देंगे। साल 2009 में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां 4 लाख एकड़ जमीन पर फैली हुई थीं। इसका मतलब साफ है कि पिछले 13 साल में वक्फ बोर्ड की संपत्ति दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। अब सवाल यह उठता है कि वक्फ बोर्ड की जमीन का इतना बड़ा हिस्सा इतनी तेजी से कैसे खत्म हो रहा है?
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क्या कहता है वक्फ बोर्ड कानून
न्यूज 18 के मुताबिक, वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेराबंदी करता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति घोषित कर देता है। 1995 का वक्फ अधिनियम कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ संपत्ति है तो इसे साबित करने की जिम्मेदारी उस पर नहीं है, बल्कि जमीन के असली मालिक पर है कि वह बताए कि उसकी जमीन वक्फ की नहीं है। 1995 का कानून ये जरूर कहता है कि वक्फ बोर्ड किसी भी निजी संपत्ति पर अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ ये लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश करने की जरूरत नहीं है, सारे कागजात और सबूत उसे देना होगा जो अब तक जमीन का दावेदार रहा है। हालांकि, कई परिवारों के पास जमीन के पुख्ता कागजात नहीं होते हैं, वक्फ बोर्ड इसका फायदा उठाता है।
देश में वक्फ का केन्द्रीकरण
1954 में जवाहरलाल नेहरू की सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसके बाद वक्फ का केंद्रीकरण कर दिया गया। इसके बाद साल 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 में संशोधन किया और नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दीं। इनमें से एक शक्ति यह है कि अगर आपकी संपत्ति वक्फ संपत्ति घोषित हो जाती है तो आप इसके खिलाफ अदालत नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड में ही अपील करनी होगी। अगर वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आता है तो भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। फिर आप वक्फ ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं। इस ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। इसमें गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं। वक्फ एक्ट की धारा 85 कहती है कि ट्रिब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती।
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