वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून में संशोधन के लिए आज यानी गुरुवार को लोकसभा में विधेयक पेश किया जाएगा। इससे पहले बुधवार को वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक की कॉपी लोकसभा सांसदों को दे दी गई थी। इस विधेयक के पेश होने के बाद वक्फ बोर्ड मनमानी नहीं कर सकेगा। मोदी सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती करना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता इस विधेयक को सदन में आम सहमति से पारित कराना और गरीब मुसलमानों, मुस्लिम महिलाओं, अनाथ मुसलमानों को न्याय दिलाना है। फिलहाल वक्फ बोर्ड के पास किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। आइए बात करते हैं कि केंद्र सरकार इस विधेयक में क्या बदलाव कर रही है।
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बदला जाएगा नाम
सूत्रों के अनुसार सरकार संसद में वक्फ से जुड़े दो कानून पेश करने जा रही है। एक ही बिल में मुस्लिम वक्फ एक्ट 1923 को निरस्त कर दिया जाएगा। दूसरे बिल के कारण वक्फ एक्ट 1995 में भी महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। फिलहाल इसका नाम वक्फ अधिनियम, 1995 था। अब संशोधन विधेयक को नया नाम दिया गया है। इसका नाम ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ रखा गया है। वहीं, संशोधन बिल 2024 के जरिए सरकार 44 संशोधन करने जा रही है।
वक्फ परिषद में कौन होगा?
वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन प्रतिनिधि, मुस्लिम कानून के तीन विशेषज्ञ, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक प्रसिद्ध वकील, चार प्रतिष्ठित नागरिक, भारत सरकार का एक अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि शामिल होंगे। इनमें कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए।
धारा 40 में बदलाव
धारा 40 को समाप्त करने के लिए वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन किया जा रहा है। इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में नामित करने का अधिकार दिया गया था। हालांकि, अब संपत्ति के अधिकार सीमित हैं। धारा 40 में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड यह निर्धारित कर सकता है कि कोई संपत्ति जिसे वह वक्फ भूमि मानता है, वह वास्तव में वक्फ भूमि है या नहीं, इसके लिए उसे पहले नोटिस देना होगा और फिर जांच करनी होगी।
बोहरा-आगाखानी के लिए अलग बोर्ड
नए विधेयक में अगाखानी और बोहरा वक्फ को परिभाषित किया गया है। इस विधेयक में बोहरा और अगाखानी के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है। इस मसौदे में मुस्लिम समुदायों में अन्य पिछड़ा वर्ग, शिया, सुन्नी, बोहरा, अगाखानी को प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान है।
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