पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से हिंसा की आग भड़क उठ गई है। बीरभूम में सोमवार देर रात को 10 से 12 घरों में आग लगा दी गई। इस हिंसा में अब तक 10 लोगों की जिंदा जलकर मौत होने की खबर है। जानकारी के मुताबिक एक ही घर से 7 लोगों के शव निकाले गए हैं। अचानक ऐसा क्या हुआ जो बंगाल में इतना बवाल मच गया? आइए जानते हैं इसके बारे में…
बंगाल में भड़की बदले की आग?
दरअसल, ये हिंसा TMC के एक नेता की हत्या के बाद हुई। सोमवार रात को बीरभूम के रामपुरहाट में पंचायत नेता भादू शेख की हत्या की गई थी। वो स्टेट हाईवे 50 पर जा रहे थे। उस दौरान ही अज्ञात लोगों वहां आए और उन पर बम फेंक दिया। इस दौरान भादू शेख गंभीर रूप से घायल हो गए। उनको रामपुरहाट के मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। यहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
उनकी हत्या की खबर जैसे ही TMC के कार्यकर्ता तक पहुंची, तो उपद्रव शुरू हो गया। उपद्रवियों ने 10-12 घरों में आग लगा दी। स्थानीय लोगों का कहना है कि आगजनी TMC के सदस्यों ने की, तो वहीं पार्टी इन आरोपों को नकारती हुई नजर आ रही है। बीरभूम से टीएमसी के अध्यक्ष अनुब्रत मंडल ने आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताया। उन्होंने कहा कि हिंसा की वजह से ये आग नहीं लगी।
इसके अलावा TMC प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि इस घटना का राजनीति से कोई लेना देना नहीं। ये स्थानीय ग्रामीण संघर्ष है। एक दिन पहले TMC नेता की हत्या हुई थी। वो काफी चर्चित थे। उनकी मौत को लेकर लोगों में गुस्सा था। रात में आग लगी।
BJP ने ममता सरकार को घेरा
वहीं इस घटना को लेकर बंगाल में राजनीति भी तेज हो गई। बीजेपी इसको लेकर बंगाल की ममता सरकार को घेर रही है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने हिंसा को लेकर कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था तेजी से चरमरा गई।
वहीं बंगाल के गवर्नर राजदीप धनखड़ ने भी मामले को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने कहा- ‘रामपुरहाट, बीरभूम की भयावह हिंसा और आगजनी का तांडव इंगित करता है कि राज्य हिंसा संस्कृति और अराजकता की चपेट में है। पहले ही आठ लोगों की जान जा चुकी है। मुख्य सचिव से घटना पर तत्काल अपडेट मांगा है।”
जांच के लिए बनाई गई SIT टीम
इस मामले की जांच करने के लिए एक SIT टीम का भी गठन किया गया। इस टीम का हिस्सा CID एडीजी ग्यानवंत सिंह, एडीजी वेस्टर्न रेंज संजय सिंह और डीआईजी सीआईडी ऑपरेशन मीरज खालिद है। इसके साथ ही एसडीपीओ रामपुरहाट को भी हटा दिया गया। जानकारी के मुताबिक अब तक कुल 11 लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में हुई है।
गौरतलब है कि ऐसा पहली बार तो बिलकुल नहीं जब बंगाल में राजनीतिक हिंसा की आग लगी हो। ऐसा पहले भी कई बार हुआ। पिछले साल जब पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के बाद भी बंगाल में राजनीतिक हिंसा हुई थी, जिसमें कम से कम 16 लोगों की जान गई थी।