
बनारस के अस्सी घाट के मशहूर बंदर वाले बाबा अब हमारे बीच नहीं रहे। स्थानीय लोगों की मानें तो सोमवार दोपहर की तेज़ गर्मी या बीमारी के कारण बाबा की अचानक मृत्यु हो गई। ऐसा कहा जा रहा है कि बंदर वाले बाबा काफी लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे, जिसके कारण बाबा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। बाबा की मृत्यु की खबर मिलते ही मौके पर पहुंची भेलूपुर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसका पंचायतनामा भर कर आगे की कार्रवाई में लग गई।
वाराणसी के ACP प्रवीण सिंह ने भी अपने ट्विटर हैंडल से बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा- अस्सी घाट के मशहूर बंदर वाले बाबा नहीं रहे , प्रभु आपको श्रीचरणों में स्थान दें।
बनारस के अस्सी घाट के मशहूर बंदर वाले बाबा और उनका बंदर बनारस के अस्सी घाट पर बहुत प्रसिद्ध थे। घाट पर आने वाले सैलानी उनके साथ तस्वीरें लेते थे और उनको पैसे भी दिया करते थे। बाबा भी बदले में अपनी बातों से उनका भरपूर मनोरंजन करते थे। बाबा अपने बंदर से बेहद प्यार करते थे। वो जहां भी कहीं आस-पास जाते तो अपने बंदर को जरूर साथ ले जाते थे। घाट पर आने वाले ज्यादातर सैलानी उनकी बातों और उनके बंदर से काफी आकर्षित होते थे। बाबा की सोशल मीडिया पर भी तस्वीरें बहुत वायरल होती थी। अस्सी घाट के लोग उनकी बातों के कायल थे। बाबा के जाने के बाद अस्सी घाट के लोगों का कहना है कि अस्सी घाट सुना हो गया। हमें बाबा की बहुत याद आएंगी।
बनारस के अस्सी घाट के मशहूर बंदर वाले बाबा किसी उम्मीद की मिसाल से कम नहीं थे। देश में जब 2020 में कोरोना की पहली भयावह लहर आई थी , उस समय भी बाबा बिलकुल नहीं डरे थे और ना ही घबराएं थे। बाबा कहते थे, ''सब ठीक होगा ''।
लोग बाबा से कहते थे कि आपको कोरोना से डर नहीं लगता, आप बाहर ही रहते हैं। इस पर बाबा कहते थे कि 'मेरा क्या है, मुझे अस्सी घाट पर रहते हुए 20 साल से ज्यादा हो गया। जाड़ा, गर्मी, बरसात या बाढ़ हो सब यहीं घाट किनारे बैठकर देखते रहते है। जब लोगों से कहा जाता है कि गर्मी बहुत बढ़ गई है। घरों में रहें तब भी मैं यहीं रहता हूं। जब लोग ठंड से ठिठुरकर घरों में चले जाते हैं तो भी मैं यहीं रहता हूं। जब बाढ़ आती है तो थोड़ा अपना ठिकाना आगे पीछे कर लेता हूं। अब कोरोना के इस भयानक दौर में भी यहीं पर आपके सामने हूं। बाबा कहते अब इस उम्र में कहीं और क्या जाना, बनारस के अस्सी घाट से अच्छी कोई जगह हो सकती है क्या। बाबा ये सब बोलकर अंत में हंस कर कहते ''मेरा क्या होगा- मैं हमेशा ठीक हूं।" बाबा को बंदर वाले बाबा का तमगा आसपास के लोग, बीएचयू के स्टूडेंट्स, या फिर अक्सर घाट पर आने वाले लोगों ने दिया था।
No comments found. Be a first comment here!