Vantara Controversy: जामनगर, गुजरात में स्थित वनतारा, जो कि अंबानी परिवार की वन्यजीव संरक्षण पहल का हिस्सा है, पिछले कुछ वर्षों से चर्चा में बना हुआ है। भारत के विभिन्न राज्यों से हाथियों, बाघों, गैंडों और अन्य वन्यजीवों को इस निजी अभयारण्य में स्थानांतरित किया जा रहा है, जिससे पर्यावरणविदों और पशु संरक्षण कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है। हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश, असम और महाराष्ट्र से कई हाथियों को गुजरात के इस सेंटर में भेजे जाने की खबरें सामने आई हैं, जिसके बाद इस मुद्दे पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
महाराष्ट्र के ताडोबा और गढ़चिरौली से 12 हाथियों को गुजरात भेजा गया- Vantara Controversy
दिसंबर 2021 में द लाइव नागपुर की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र वन विभाग ने ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) और गढ़चिरौली से 12 हाथियों को गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस के राधे कृष्ण एलिफेंट वेलफेयर सेंटर में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।
Approximately 16 Animal ambulances with Gujarat registration have reportedly been deployed to transfer wild elephants from Assam/Arunachal Pradesh to Ambani’s private zoo at Jamnagar in Gujarat. The government of india in association with respective state governments has been… pic.twitter.com/htTCC6X5ea
— Jayanta K Das (@jayantakrdas) January 15, 2025
इस निर्णय के तहत, ताडोबा के बोटेजारी कैंप में मौजूद छह हाथियों को दिसंबर के अंत तक भेजा गया, जबकि गढ़चिरौली से छह और हाथियों को जनवरी 2022 में शिफ्ट किया गया। इनमें तीन हाथी पटनील (अल्लापल्ली) से और तीन कमलापुर (सिरोंचा डिवीजन) से थे।
जब ये अंबानी का चिड़ियाघर नहीं रेस्क्यू सेंटर है तो फिर सरकारी चिड़ियाघर से कौन से वन्य प्राणी रेस्क्यू कर अंबानी को सौंपे जा रहे हैं?मतलब बेशर्मी से देश अंबानी को बेचोगे?
दिसंबर 2022 में असम के नागिरिकों ने असम राज्य चिड़ियाघर (Assam state Zoo) से बाघ, बंदरों की विभिन्न… pic.twitter.com/RjcvxagxQ0
— Kunal Shukla (@kunal492001) March 5, 2025
महाराष्ट्र के प्रधान वन संरक्षक सुनील लिमये ने कहा कि ये हाथी जंगलों में किसी वन प्रबंधन कार्य के लिए उपयोग में नहीं थे और उनके रखरखाव पर लाखों रुपये खर्च हो रहे थे। वन विभाग ने इस कदम को हाथियों की बेहतरी के लिए उठाया गया कदम बताया।
लेकिन पर्यावरणविदों का कहना है कि इन हाथियों को एक निजी अभयारण्य में भेजने के पीछे कई अनुत्तरित सवाल हैं।
असम चिड़ियाघर से जानवरों की शिफ्टिंग पर बढ़ा विरोध
दिसंबर 2022 में प्रकाशित ETV भारत की रिपोर्ट के अनुसार, असम राज्य चिड़ियाघर से बाघ, बंदर, कछुए, आठ सींग वाले हिरण और गैंडे सहित कई प्रजातियों को अंबानी के निजी चिड़ियाघर में स्थानांतरित किया गया।
इस स्थानांतरण के खिलाफ कई कार्यकर्ता समूहों और राजनीतिक संगठनों ने गुवाहाटी में जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार असम राज्य चिड़ियाघर का निजीकरण कर रही है और इसकी वन्य संपदा को एक निजी उद्योगपति के हवाले कर रही है। APWC की अध्यक्ष मीरा बोरठाकुर और प्रख्यात विचारक डॉ. हिरेन गोहेन ने इस फैसले की कड़ी निंदा की और सरकार से मांग की कि वन्यजीवों को वापस लाया जाए।
प्रदर्शनकारियों का दावा था कि 2018 से अब तक 1100 से अधिक वन्य जीवों को असम से अन्य स्थानों पर भेजा गया है, और सरकार इस प्रक्रिया को गुप्त रूप से आगे बढ़ा रही है।
अरुणाचल प्रदेश से 21 हाथियों की शिफ्टिंग पर सवाल
जनवरी 2025 में नॉर्थईस्ट नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में अरुणाचल प्रदेश से कम से कम 21 हाथियों को गुजरात के वनतारा सेंटर में भेजा गया। ये हाथी लोहित जिले के निजी मालिकों से खरीदे गए थे और 16 पशु एंबुलेंस के जरिए जामनगर ले जाए गए।
पर्यावरणविदों और पशु संरक्षण कार्यकर्ताओं ने इस ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कई सवाल उठाए।
वन्यजीव कार्यकर्ता जयंत दास ने आरोप लगाया कि हाथियों को ले जाने के लिए जिन एंबुलेंस का उपयोग किया गया, उनके पास जरूरी प्रमाणपत्र (PUCC, बीमा, और फिटनेस प्रमाणपत्र) नहीं थे।
इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने इस बात की भी जांच की मांग की कि क्या इन हाथियों को वास्तव में कैद में पाला गया था या जंगल से पकड़ा गया था।
वन्यजीव संरक्षण समूहों ने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश और असम में लंबे समय से जंगल से हाथी पकड़कर उन्हें कैद में रखने की परंपरा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले की स्वतंत्र जांच करने की मांग की।
वनतारा: दुनिया का सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षण केंद्र या एक निजी चिड़ियाघर?
वनतारा, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की पहल है, 3,500 एकड़ में फैला हुआ है। इसे दुनिया के सबसे बड़े वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्रों में से एक बताया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वनतारा का दौरा किया और इसे वन्यजीव संरक्षण का एक आदर्श मॉडल बताया।
वनतारा में कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें तेंदुए, जेब्रा, फ्लेमिंगो, दुर्लभ बोआ सांप और कई अन्य विदेशी प्रजातियां शामिल हैं।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह वास्तव में एक निजी चिड़ियाघर है, जहां जानवरों को रखकर मनोरंजन के लिए उपयोग किया जा रहा है।
सरकार और वन्यजीव कार्यकर्ताओं की चिंताएं
- गुजरात के निजी जू में अन्य राज्यों के वन्यजीवों को स्थानांतरित करने का कारण क्या है?
- क्या यह सरकारी चिड़ियाघरों और वन विभाग के संरक्षण प्रयासों को कमजोर करने की साजिश है?
- क्या इन जानवरों को सही वातावरण और उचित देखभाल मिल रही है?
- क्या यह व्यापार का एक नया रूप है, जहां वाइल्डलाइफ को निजी क्षेत्र के हवाले किया जा रहा है?
वन्यजीव कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने सरकार से इस पूरे स्थानांतरण अभियान की पारदर्शी जांच की मांग की है।
वन्यजीव संरक्षण या निजी स्वामित्व की ओर बढ़ता कदम?
भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के नाम पर अगर राज्य सरकारें अपनी संपत्ति निजी हाथों में सौंप रही हैं, तो यह एक बड़ी चिंता का विषय है।
क्या यह वाकई वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक अच्छा कदम है या फिर एक बड़े उद्योगपति के निजी जू के लिए देश के वन्यजीवों को बेचा जा रहा है? यह सवाल अब सरकार और पर्यावरणविदों के बीच गंभीर बहस का मुद्दा बन गया है।