“देवभूमि” उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी बदलाव होने जा रहा है। 5 साल के बीजेपी के कार्यकाल में उत्तराखंड को तीसरा मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है। चुनाव से ठीक पहले बीजेपी उत्तराखंड में सियासी प्रयोग कर रही है। पहले पार्टी ने इस साल की शुरुआत में त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी छीन ली। उन्हें हटाकर बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन वो इस पद पर महज 4 महीने ही टिक पाए।
बीजेपी ने चला बड़ा दांव
अब बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी को अपना सीएम चुनकर एक बड़ा सियासी दांव चलने की कोशिश की है। धामी आज शाम उत्तराखंड के नए सीएम के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं। वो देवभूमि के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे। खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी को 45 साल की उम्र में ये बड़ा पद सौंपा हैं।
लेकिन यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि बीजेपी ने भरोसा जताकर धामी को ठीक पहले अपना मुख्यमंत्री चुना। पार्टी की उम्मीदों पर खड़ा उतरने के लिए महज उनके पास 7 से 8 महीनों का ही वक्त है। इसके बाद उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होंगे। बीजेपी की कोशिश है कि वो इन विधानसभा चुनाव में फिर से सत्ता में वापसी करें, जिसमें अहम भूमिका निभाएंगे पुष्कर सिंह धामी।
आसान नहीं होगी ये राह
उत्तराखंड में हर 5 सालों में सत्ता परिवर्तन होता है। ऐसे में पुष्कर सिंह धामी की राह बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाली। अपने कुछ महीनों के कार्यकाल के दौरान उनको कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वो चुनौतिया कौन-कौन सी होगीं, उस पर एक नजर डालते हैं…
इन चुनौतियों से निपटना होगा
कोरोना संक्रमण के चलते चारधाम यात्रा अब तक शुरू नहीं हो पाईं। तीरथ सिंह रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान ये यात्रा 1 जुलाई से शुरू करने का फैसला लिया था। हालांकि ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया। हाई कोर्ट के आदेश को तीरथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया था। वहीं अब सरकार के बदलने के बाद नई सरकार चारधाम यात्रा पर क्या फैसला लेगी, इस पर हर किसी की नजरें टिकी है।
2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अब बहुत कम वक्त बचा है। ऐसे में पुष्कर सिंह धामी के पास खुद को साबित करने के लिए कुछ ही महीनों का वक्त है। बीजेपी ने 2017 चुनावों के दौरान राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 57 पर कब्जा जमाया था। ऐसे में सरकार बचाए रखना उनके सामने एक बड़ी चुनौती होगीं। ऐसा करने के लिए उन्हें चमत्कार कर दिखाना होगा।
उनको सरकार और संगठन के बीच तालमेल बैठाना होगा। नए मुख्यमंत्री के लिए ये एक बड़ी चुनौती रहेगी। सार्वजनिक रूप से कई बार मंत्रियों में मनभेद, विधायकों की नाराजगी और संगठन के साथ रिश्तों की तल्खियां सामने आई है। उनको ना सिर्फ संगठन और मंत्रियों को साथ लेकर चलना होगा, बल्कि अपने नेतृत्व को लेकर भरोसा भी दिलाना होगा।
नौकरशाही की लगाम लगाना भी एक बड़ी चुनौती होगी, जिसके लिए नए मुख्यमंत्री को जल्द ही सख्त कदम उठाने की जरूरत होगी।
इन कामों पर भी रहेगी नजर
इसके अलावा अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है तो उससे निपटना, कोरोना महामारी के दौरान चरमराई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना, कुंभ मेले के दौरान हुए कोविड जांच घोटाले और देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ गंगोत्री और यमुनोत्री में पुजारियों के जारी आंदोलन पर भी उन्हें काम करना होगा।
साथ ही साथ पुष्कर सिंह धामी के लिए इन सबके साथ विपक्ष से भी निपटना होगा। क्योंकि राज्य में चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में अब सियासी सरगर्मियां बढ़ने लगेगीं और विपक्ष के द्वारा सरकार को घेरना शुरू हो जाएगा। उन्हें इस चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा।