केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन तेज है। दिल्ली के टिकरी, गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान इस कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और सरकार के मंत्रियों के बीच 11 राउंड की बैठक हो चुकी है लेकिन नतीजा अभी भी कोसों दूर नजर आ रहा है। सड़क से लेकर संसद तक किसान आंदोलन का असर देखने को मिल रहा है।
विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता संसद में भी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। संसद में लगातार इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं, जिसे लेकर जमकर हंगामा भी हो रहा है। इसी बीच एनडीए की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लिया है।
मराठा, जाट, राजपूत और ठाकुरों को भी चाहिए रिजर्वेशन
आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले ने आज शुक्रवार को राज्यसभा में कृषि बिल के समर्थन में अपने अंदाज में एक कविता सुनाई और विपक्षी दलों को निशाने पर लिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘किसान बिल जो कहते हैं काला है, मैं कहता हूं बिल तो उजाला है, क्या जो कहते हैं बिल काला है, उनके मुंह पर लगाना ताला है।‘
अठावले ने कहा, मराठा, जाट, राजपूत और ठाकुर समुदाय के लोग महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में रिजर्वेशन चाहते हैं। क्षेत्रीय समुदाय की बहुत बड़ी आबादी है। जिस तरह से 10 फीसदी रिजर्वेशन आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को दिया गया है उसी तरह से उन्हें भी दिया जाना चाहिए।
किसान आंदोलन का आज 72वां दिन
बता दें, नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 71 दिनों से दिल्ली की बॉर्डरों पर आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से इन कानूनों को रद्द करने की मांग भी कर रहे हैं। साथ ही एमएसपी पर कानून बनाने की मांग भी की जा रही है। हालांकि, केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे कानून को वापस नहीं करेंगे। केंद्र सरकार की ओर से लगातार इस कानून में संशोधन की बात कही जा रही है। किसान नेता और सरकार के बीच अगली बैठक कब होगी, इस पर संशय बरकरार है।