देश में अगले साल 2022 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अभी से ही अपनी तैयारियों में लग गई है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़ सकती है तो गोवा में प्रमोद सावंत ही बीजेपी के सीएम फेस होंगे।
कांग्रेस शासित पंजाब में बीजेपी किसके चेहरे पर आगे बढ़ेगी इस पर सस्पेंस बरकरार है। हालांकि, केंद्रीय मंत्रियों के बयान से इस बात के संकेत मिलने लगे है कि पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी केंद्र सरकार द्वारा किए गए काम और पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ सकती है।
पंजाब के लिए मोदी सरकार ने किए ये काम…
बीते दिन शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री औ बीजेपी नेता हरदीप सिंह पुरी ने बीजेपी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में केंद्र सरकार द्वारा पिछले 7 सालों में किए गए कामों को गिनाया। उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने सहयोगात्मक संघवाद की सच्ची भावना से पंजाब की मदद की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड के तहत पंजाब में 41 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति दी है, उसमें से 13 प्लांट 30 जून तक और बाकी प्लांट 15 अगस्त तक लग जाएंगे।‘
विपक्षी पार्टियों को निशाने पर लेते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि वे लोग पक्षपात का आरोप लगाते हैं। पिछले 7 सालों में पीएम मोदी ने पंजाब और सिखों के लिए काफी काम किया है। उन्होंने कहा, ‘333 सिखों को सरकार ने ब्लैक लिस्ट से हटाया है। नागरिकता संशोधन कानून के जरिए हमने अपने हजारों भाइयों और बहनों को शरण दिया। सभी गुरुद्वारों में लंगर सेवा को जीएसटी से छूट दी गई। करतारपुर साहिब के लिए वीजा फ्री यात्रा की अनुमति दी गई।‘
पक्षपात के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री की सफाई
कोविड-19 के दौरान दवाइयों के बंटवारे में पंजाब समेत कई राज्यों ने केंद्र सरकार पर पक्षपात के आरोप लगाए थे। उन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘पंजाब और असम की आबादी करीब एक जैसी है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 20 करोड़ से अधिक है। केंद्र ने असम को प्रति 1 लाख आबादी पर रेमडेसिविर की 323 इंजेक्शन, उत्तर प्रदेश को 264 उपलब्ध कराई। जबकि पंजाब को प्रति 1 लाख आबादी पर 632 रेमडेसिविर इंजेक्शन केंद्र ने मुहैया कराई।‘
केंद्रीय मंत्री ने कृषि कानूनों को लेकर कहा, ‘प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ने साफ कर दिया है कि आपको कृषि कानूनों को लेकर कोई शंका है तो हम आपके साथ बैठकर बातचीत के लिए तैयार हैं। हम सुझावों का स्वागत करेंगे। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आंदोलन स्थल से रेप की रिपोर्ट आ रही हैं, इसकी जांच होनी चाहिए।‘
जनवरी के बाद आंदोलनकारी किसानों से नहीं हुई है कोई बातचीत
बता दें, किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने वाले हैं। दिल्ली के बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे किसान लगातार नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इस प्रदर्शन में हरियाणा, पंजाब और पश्चिम यूपी के किसान बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। अगले साल पंजाब में चुनाव होने वाले हैं ऐसे में केंद्रीय मंत्री के बयान को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं।
अगर किसान और सरकार के बीच हुई बातचीत पर गौर करें तो दोनों पक्षों के बीच बातचीत जनवरी महीनें में हुई थी। उसके बाद अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई बातचीत नहीं हुई है। किसान नेता पिछले कई महीनों से लगातार बातचीत शुरु करने की मांग कर रहे हैं।