पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। दुनिया के तमाम देशों में हालात अभी भी बेकाबू हैं। कई देशों में वैक्सीनेशन का काम जोर-शोर से हो रहा है, तो वहीं, कई गरीब देश वैक्सीनेशन में पिछड़ते दिख रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन हालात पर नजर बनाए हुए हैं। इसी बीच भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों को संबोधित करते हुए बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने कहा है कि भविष्य की संभावित महामारियों के खिलाफ समय से और प्रभावी कदम सुनिश्चित करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन में व्यापक सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, कोविड-19 महामारी से उत्तपन्न वैश्विक संकट वायरस के लगातार विकसित होने वाले नए स्वरुपों से और गहरा हो गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया बयान
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक डॉ हर्षवर्धन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शंघाई देशों के स्वास्थय मंत्रियों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘इसलिए, यह वांछनीय है कि हम अपने अनुभव, ज्ञान, बेहतरीन चलन के साथ ही नवाचारों का आदान-प्रदान जारी रखें ताकि अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाया जा सके।‘
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘भारत मौजूदा स्थिति का प्रबंधन करने और भविष्य के किसी भी संकट को कम करने के लिए लंबे समय तक चलने वाले उपाय सुनिश्चित करने के लिए मुख्य क्षमताओं को बढ़ाने पर काम कर रहा है।‘
उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत का भी मानना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में बड़े सुधारों की तत्काल आवश्यकता है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि हमें अपने संसाधनों को साझा करके और उन्नत तकनीकी सहायता के साथ सहयोग करके समस्या का हल प्राप्त करने की आवश्यकता है।
नर्सिंग सेवा विनिमय कार्यक्रम के संबंध में चर्चा कर रहा भारत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने स्वास्थ्य और आर्थिक मोर्चों पर SCO सदस्य देशों को गहरा झटका दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का मानना है कि इस मुद्दे पर द्विपक्षीय विचार के अलावा, एक बहुपक्षीय दृष्टिकोण की भी आवश्यकता है जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की गतिशीलता के लिए एक संस्थागत ढांचा तैयार करेगा।
मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, उदाहरण के लिए, ‘भारत अभी जापान के साथ सहयोग कर रहा है और ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के अन्य देशों के साथ नर्सिंग सेवा विनिमय कार्यक्रम के संबंध में चर्चा कर रहा है।‘
शंघाई देशों को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, भारत ने ‘इंस्टीट्यूट फॉर वन हेल्थ ऑफ इंटरनेशनल स्टैंडर्ड’ की शुरुआत की है जिसका उपयोग भारत में अंतरराष्ट्रीय केंद्र के लिए किया जा सकता है और यह मौजूदा या संभावित खतरों पर गौर करेगा। साथ ही उन्होंने कोविड टीकों के समय पर वितरण के लिए सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए डिजिटल तकनीकों का भी जिक्र किया।
जानें क्या है शंघाई सहयोग संगठन?
बता दें, शंघाई सहयोग संगठन की उत्पति साल 2001 में हुई। उससे पहले इसे शंघाई-5 के नाम से जाना जाता था। जिसमें चीन, रुस, कजाखिस्तान, कीर्गिस्तान और तजाकिस्तान शामिल थे। साल 2001 में इस समूह में उज्बेकिस्तान शामिल हुआ, जिसके बाद इसका नाम शंघाई-5 से बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया। भारत पहली बार साल 2005 में इस संगठन का पर्यवेक्षक बना।
पर्यवेक्षक के तौर पर भारत के विदेश मंत्री या ऊर्जा मंत्री (SCO के कई देशों में तेल, गैस, कोयला और यूरेनियम के विशाल भंडारों को देखते हुए) दोनों ही शिखर सम्मेलनों यानी शासनाध्यक्षों (CHG) और राष्ट्राध्यक्षों (CHS) की बैठक में शामिल होते रहे। हाल ही में नवंबर 2020 में इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। जिसके बाद नवंबर 2020 में ही इस बैठक में उपराष्ट्रपति ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।