Union Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपना लगातार 8वां बजट पेश करेंगी। इस बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें मध्यम वर्ग को मिलने वाली कर राहत पर हैं। इसके अलावा सरकार की नीतियों पर बाजार, निवेशक और आम जनता की नजरें टिकी रहेंगी। बजट की प्रस्तुति के दौरान वित्त मंत्री अपने परंपरागत लाल कपड़े में लिपटे ‘बही-खाता’ का इस्तेमाल करेंगी, जिसे उन्होंने 2019 में पारंपरिक चमड़े के ब्रीफकेस की जगह अपनाया था। इस बार भी बजट दस्तावेजों को डिजिटल रूप में जारी किया जाएगा।
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बजट 2025 पर क्या होंगी मुख्य निगाहें? (Union Budget 2025)
आम बजट 2025 की कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं, जिन पर सरकार और जनता का फोकस रहेगा। देश की आर्थिक सेहत को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा:
राजकोषीय घाटा
चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2024 से मार्च 2025) के बजट में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.9% रहने का अनुमान है। सरकार इस घाटे को नियंत्रित करने के लिए नए उपायों की घोषणा कर सकती है। साथ ही, अगले वित्तीय वर्ष में घाटे को कम करने के लिए रणनीति बनाई जा सकती है, जिस पर बाजार की पैनी नजर रहेगी।
पूंजीगत व्यय में वृद्धि की उम्मीद
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 11.1 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय तय किया था। हालांकि, लोकसभा चुनावों के चलते सरकारी खर्च में शुरुआती महीनों में सुस्ती रही, जिससे पूंजीगत व्यय का लक्ष्य पूरा होने में देरी हुई। आगामी बजट में सरकार से इस मद में वृद्धि की उम्मीद की जा रही है ताकि बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं में तेजी लाई जा सके।
कर्ज और उधारी पर निगाहें
देश की कर्ज स्थिति भी बजट का एक अहम हिस्सा होगी। सरकार ने 2024-25 के बजट में 14.01 लाख करोड़ रुपये का सकल उधार तय किया था। केंद्र सरकार की ओर से लिए गए कर्ज को 2026-27 तक GDP अनुपात के रूप में घटाने की योजना है। इस वर्ष के बजट में इस नीति को कैसे आगे बढ़ाया जाएगा, यह देखने वाली बात होगी।
टैक्स राजस्व और कर सुधारों की उम्मीद
वर्ष 2024-25 में सरकार का सकल कर राजस्व 38.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.72% अधिक है। इसमें 22.07 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष करों (इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स) से और 16.33 लाख करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष करों (GST और अन्य कर) से आने की उम्मीद है।
इस बार बजट से आम जनता को टैक्स में कुछ राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। खासकर मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए सरकार कर स्लैब में बदलाव कर सकती है या छूट की सीमा बढ़ा सकती है।
जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी
वर्ष 2024-25 में GST संग्रह 11% बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में इसमें गिरावट देखी गई है। इस साल सरकार जीएसटी कलेक्शन को बढ़ाने के लिए नए सुधारों की घोषणा कर सकती है।
जीडीपी और आर्थिक विकास दर
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चालू कीमतों पर जीडीपी वृद्धि 10.5% रहने का अनुमान है, जबकि वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4% हो सकती है। इसका मतलब है कि मुद्रास्फीति को मिलाकर अर्थव्यवस्था की गति अभी भी संतोषजनक बनी हुई है।
सरकार के पास वित्तीय संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से लाभांश तथा विनिवेश से होने वाली आय को बढ़ाने की योजना हो सकती है।