Union Budget 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का बजट-2025 एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। इस बजट को लेकर हेल्थकेयर सेक्टर में काफी उत्साह है। हेल्थकेयर सेक्टर में कई अहम सुधारों की मांग की जा रही है, जिनमें मेडिकल उपकरणों पर एक समान जीएसटी और स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए विशेष नीतियां प्रमुख हैं।
और पढ़ें: 90 Hours Work Hour Culture: चीन ने छोड़ा 9-9-6 वर्क कल्चर, जानिए क्यों यह मॉडल अब प्रैक्टिकल नहीं
चिकित्सा उपकरणों पर समान जीएसटी की मांग- Union Budget 2025
हेल्थकेयर सेक्टर की सबसे बड़ी मांग चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी को 12% की एक समान दर पर स्थिर करना है। वर्तमान में, चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी दरें 5% से 18% तक अलग-अलग हैं। यह न केवल निर्माण और वितरण प्रक्रियाओं को जटिल बनाता है, बल्कि उद्योग के संचालन में भी बाधा उत्पन्न करता है। एक समान कर ढांचे से न केवल अनुपालन में सुधार होगा, बल्कि चिकित्सा उपकरणों की लागत भी कम होगी, जिससे मरीजों को अधिक किफायती सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी।
80% चिकित्सा उपकरणों का आयात: आयात शुल्क में कमी की मांग
भारत वर्तमान में अपने 80% चिकित्सा उपकरणों का आयात करता है। भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग (IMDI) का मानना है कि आयात शुल्क में कमी से स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और मरीजों के लिए लागत कम होगी। साथ ही, निर्यात किए जाने वाले चिकित्सा उपकरणों पर टैक्स छूट बढ़ाने की भी मांग की जा रही है।
RODTEP योजना के तहत वर्तमान में निर्यात पर 0.6-0.9% का प्रोत्साहन मिलता है, जिसे 2-2.5% तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। इससे भारतीय उपकरण वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे और भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी।
स्थानीय विनिर्माण और ग्रामीण स्वास्थ्य पर फोकस
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए PLI (Production Linked Incentive) योजना के विस्तार की मांग की जा रही है। नीति आयोग ने भी 2023 की अपनी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि एक समान टैक्स स्ट्रक्चर और स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने से भारत को हेल्थ टेक्नोलॉजी में ग्लोबल लीडर बनने में मदद मिलेगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत की लगभग 70% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, लेकिन केवल 38% स्वास्थ्य सुविधाएं ही वहां उपलब्ध हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए सरकार को बजट में विशेष प्रावधान करना चाहिए।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और तकनीकी नवाचार
स्वास्थ्य सेवाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग को बढ़ावा देने की भी मांग जोर पकड़ रही है। PwC की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एआई का स्वास्थ्य सेवा बाजार 2022 में ₹5,000 करोड़ का था और 2030 तक यह बढ़कर ₹50,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। एआई उपकरण रोगों के शीघ्र निदान और इमेजिंग एनालिसिस में क्रांति ला सकते हैं।
स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाने की मांग
भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 1.5% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है, जो वैश्विक औसत 3.5% से काफी कम है। विश्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार, इस खर्च को 2.5-3% तक बढ़ाने से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी, बल्कि परिणामों में भी सुधार होगा।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को हेल्थ सेक्टर में इनोवेशन, स्थानीय निर्माण और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। फ्रॉस्ट एंड सुलिवन की रिपोर्ट बताती है कि 2025 में भारत के चिकित्सा उपकरण बाजार का मूल्य ₹75,000 करोड़ तक हो सकता है, जिसमें अगले पांच वर्षों में 12-15% की CAGR (Compound Annual Growth Rate) से वृद्धि होने की संभावना है।
और पढ़ें: History of work hours: 90 घंटे काम पर नई बहस का सच! जानिए इसके पीछे का इतिहास