देश में बढ़ रही बेरोजगारी दर
The Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर महीने के दौरान देश की बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) तीन महीने के उच्च स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसका मतलब है की इन तीन महीनों में देश भर में बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है। CMIE की इस लिस्ट में हरयाणा 30.6 फीसदी के साथ टॉप पर है। देश में अभी चुनावी मौसम है और ये आकड़ें ऐसे समय में देश की जनता के सामने आएं हैं जब सभी राजनीतिक पार्टियां अपने मैनिफेस्टो में इसका जिक्र तो करती है लेकिन दूसरी तरफ इस पर बात करने से घबराती भी हैं।
छत्तीसगढ़ इस पायदान में सबसे निचे
देश की सरकार बेरोजगारी दर जनता के सामने नहीं रखती है, इसी कारण मीडिया की नजर CMIE की रिपोर्ट पर टिकी रहती हैं। एक तरफ जहां केंद्र सरकार और अन्य राजनीतिक पार्टियां चुनावी रैलियों में रोजगार देने की बात करने में व्यस्त हैं वहीं दूसरी तरफ ये बेरोजगारी रिपोर्ट जनता की आँखों से पर्दा हटाने की कोशिश कर रही है। CMIE के इस रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी में जहां हरयाणा टॉप कर रहा है, वहीं राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और बिहार इसके पीछे-पीछे चलते नजर आ रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ इस पायदान में सबसे निचे खड़ा है। यानि की छत्तीसगढ़ की सरकार लोगों को रोजगार देने में अन्य सरकारों से आगे है।
बेरोजगारी का मतलब क्या है?
जब बात बेरोजगारी की चल रही हो तो सबसे पहले हमे बेरोजगारी का मतलब अच्छे से समझ लेना चाहिए। क्या आप किसी housewife को बेरोजगार कह सकते हैं? इसका जवाब हाँ है और नहीं भी। अगर एक housewife घर पे ही काम करना चाहती है तो वो इस बेरोजगारी में शामिल नहीं होगी, लेकिन अगर वही housewife पढ़ी-लिखी हैं और वो नौकरी करना चाहती हैं और उनको उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिल रही तो वो बेरोजगार कही जाएँगी।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर देश की युवा को उनकी योग्यता और डिग्री के अनुसार देश में या फिर उनके अपने राज्य में नौकरी नहीं मिल पा रही तो वो बेरोजगारी के खाई में हैं। दुनिया भर में अभी आर्थिक मंदी चल रही है और अन्य-अन्य देशों की सरकारों ने इसकी चेतावनी भी दे दी है। लेकिन ना तो भारत की केंद्र सरकार ने और ना ही किसी राज्य सरकार ने देश की जनता को इस समस्या के बारे में बताया है।
दुनिया की गंभीर समस्याओं में एक है बेरोजगारी
देश की सारी राजनीतिक पार्टियां अभी चुनाव में मशगूल चल रही है और अपने-अपने चुनावी मेनिफेस्टो में रोजगार का जिक्र भी करते नजर आ रही है। लेकिन कोई भी पार्टी अपने मैनिफेस्टो में ये नहीं बता रहा कि देश में इतनी रोजगार आएगी कहा से, जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का संकेत दे रही है।
बेरोजगारी की समस्या अब किसी घर-परिवार या देश की नहीं रही, बल्कि ये समस्या अब दुनिया के गंभीर समस्याओं में शामिल हो गई है। अब देखना दिलचस्प होगा की देश के इस चुनावी मौसम में सरकार इस गंभीर समस्या को जनता से छुपाती है या फिर जनता खुद ही जागरूक होकर सरकार को आईना दिखाती है? आने वाले नए साल में देश भर में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव अभी बाकि है।