ट्विटर और मोदी सरकार के बीच तनाव बीते साल से ही देखने को मिल रहा है। ऐसे में अब ट्विटर ने मोदी सरकार के कंटेंट हटाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। ट्विटर ने मोदी सरकार के इन आदेशों को अधिकारियों के जरिये अपने अधिकारों के दुरुपयोग का मामला बताया है।
ट्विटर ने हाईकोर्ट में जून 2022 में सरकार के दिए गए आदेशों को चुनौती दी है। याचिका में शिकायत की गई है कि कंटेट और अकाउंट को ब्लॉक करने वाला आदेश मनमाना है। मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार ने फरवरी 2021 से 2022 के बीच अकाउंट्स को ब्लॉक करने के 10 आदेश दिए थे। इनमें 1474 अकाउंट्स और 175 ट्वीट्स को हटाने के लिए सरकार द्वारा आदेश दिया गया था।
ट्विटर ने हाईकोर्ट में याचिका की दायर
ट्विटर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में 39 अकाउंट्स को ब्लॉक करने के आदेश को रद्द करने की मांग की है। ट्वीटर ने ये भी कहा है कि सरकार बिना कोई कारण दिए या बिना कोई जानकारी दिए सीधा अकाउंट को ब्लॉक करने के आदेश दे रही है। जो की बढ़ते ही जा रहे है। कई लिंक्स तो राजनीति और पत्रकारिता से जुड़े होते है। जबकि ट्विटर अपने यूजर्स को freedom of expression के तहत अपना विचार रखने की पूरी आजादी देता है। लेकिन ऐसी जानकारी को ब्लॉक करने से freedom of expression का हनन होता है।
कंटेंट ब्लॉक करने का नहीं दिया गया कारण
ट्विटर ने याचिका में आगे कहा कि कंटेंट और अकाउंट को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया। लेकिन ये नहीं बताया गया कि कंटेंट धारा 69ए का उल्लंघन कैसे करता है। सरकार के ये आदेश मनमाने है, इनमें यूजर्स को नोटिस जारी करने के आदेश तक भी देने की बात नहीं कही जाती है।
इन ट्विट्स के खिलाफ एक्शन नहीं लिया गया
मिली जानकारी के मुताबिक, ट्विटर को पिछले साल कई सारे अकाउंट्स जैसे की स्वतंत्र सिख राज्य वाले, कोविड-19 से निपटने के लिए आलोचनात्मक ट्विट्स और किसान आंदोलन को लेकर कथित गलत जानकारी फैलाने वाले ट्विट्स के साथ कई और ट्विट्स के खिलाफ एक्शन लेने को कहा गया था।
सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों के आदेश न मानने की बात कही
मोदी सरकार ने पहले ही सोशल मीडिया कंपनियों के कंटेंट हटाने के आदेशों का पालन नहीं करने की बात कही है। जबकि वे कानूनी तौर पर इसे मानने के लिए मजबूर है। पिछले महीने के अंत में ही भारत के आईटी मंत्रालय ने कई आदेशों का पालन न करने की स्थिति में कानूनी कार्यवाही की चेतावनी दी थी। ऐसे में ट्विटर ने आदेशों को नहीं माना, ताकि वे ट्विटर को कंटेंट के होस्ट के तौर पर मिली छूट को ना खो सके। साथ ही ट्विटर अपने यूजर्स को freedom of expression का अधिकार देने से ना चूके।
क्यों शुरु हुआ तनाव
बता दें कि ट्विटर और भारत सरकार के बीच तनाव की स्थिति पिछले साल की शुरुआत से ही पैदा हो चुकी थी। जब किसान आंदोलन के तहत गलत सूचना फैलाने वाले अकाउंट्स को ब्लॉक करने के आदेश दिए गए और ट्विटर ने इन आदेशों को मानने से साफ इंकार कर दिया।