अपहरणकर्ताओं से बदला लेने में लग गए 17 साल, बचपन से ही सीने में जल रही थी बदले की आग

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आज हम आपको एक ऐसी रियल लाइफ स्टोरी बताने जा रहे हैं जिसे सुनने के बाद आपको लगेगा कि आप कोई बॉलीवुड स्टोरी सुन रहे हैं। कहानी ये है कि एक 7 साल के बच्चे का अपहरण हो जाता है और उसकी आंखों के सामने उसके पिता को गोली मार दी जाती है। इसके बाद जब ये बच्चा अपहरणकर्ताओं के चंगुल से निकलता है तो जिस तरह से बदला लेता है वो वाकई हैरान कर देने वाला है। दरअसल, जब ये बच्चा बड़ा हुआ तो वकील बन गया। इसके बाद उसने उन सभी आरोपियों को सजा दिलाई जिन्होंने बचपन में उसका अपहरण किया था। आगरा की ये कहानी फिल्मी लगती है, लेकिन ये सच है।

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ये है पूरा मामला

कारोबारी के सात वर्षीय भतीजे हर्ष गर्ग का 17 साल पहले अपहरण कर फिरौती के लिए बंधक बना लिया गया था। इसके अलावा, उसके वकील पिता को विरोध करने पर गाली-गलौज का सामना करना पड़ा। इस मामले में आरोपी गुड्डन काछी, राजेश शर्मा, राजकुमार, फतेह सिंह उर्फ ​​छिगा, अमर सिंह, बलवीर, रामप्रकाश और भीम उर्फ ​​भिकारी को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। अपर जिला जज नीरज कुमार बख्शी ने दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस दौरान कोर्ट को चारों आरोपियों को दोषी ठहराने लायक कोई सबूत नहीं मिला। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी नाहर सिंह तोमर ने घटना के संबंध में महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश किए और तर्क दिया कि यह घटना राजस्थानी गिरोह के सहयोग से अंजाम दी गई थी।

बच्चे को किया अगवा

इस मुकदमे में शिकायतकर्ता व्यवसायी अविनाश गर्ग हैं। 10 फरवरी, 2007 को वे अपनी दुकान पर बैठे थे। रात के करीब सात बजे राजस्थानी नंबर की एक जीप उनके पास आकर रुकी। जीप से तीन पुलिस अधिकारी उतरे। हर्ष गर्ग, उनका सात वर्षीय भतीजा, दुकान में वादी के पास खड़ा था, तभी अपहरणकर्ता ने उसे उठा लिया और घसीटकर ले जाने लगे। जब वादी रवि कुमार गर्ग ने विरोध किया तो अपहरणकर्ता ने उसे गोली मार दी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब उन्होंने उसका अपहरण किया तो उन्होंने उसे धमकी दी कि अगर उन्हें वांछित राशि नहीं मिली तो वे उससे हर्जाना वसूलेंगे।

revenge from the kidnappers
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55 लाख की मांगी गई फिरौती

आरोपियों ने 55 लाख की फिरौती मांगी थी। हालांकि, अपहरण के 26 दिन बाद पुलिस ने अपराधियों को पकड़ लिया और पीड़िता को मध्य प्रदेश के शिवपुरी में बरामद कर लिया। मार्च और अप्रैल 2007 में पूछताछ के दौरान आरोपी राजेश शर्मा, राजकुमार, रामप्रकाश, फतेह सिंह, बलवीर उर्फ ​​राजवीर, भीकम, अमर सिंह निवासी बसेड़ी धौलपुर, गुड्डू काछी निवासी खेरागढ़ आदि को पुलिस ने हिरासत में लिया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सबूत मिलने के बाद आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया। पुलिस का दावा है कि गुड्डू काछी का लंबा आपराधिक इतिहास है। उसके खिलाफ कई मामले लंबित हैं।

पंद्रह की गवाही, अपहृत की रही अहम

न्यायधीश नाहर सिंह तोमर ने अभियोजन पक्ष की ओर से पंद्रह गवाहों को बुलाया। इसमें सेवानिवृत्त भरत सिंह, राम कैलाश, देवेंद्र सिंह कुशवाह, गिरेंद्रपाल सिंह, पुलिसकर्मी रामप्रसाद, भाई रवि गर्ग, भतीजे हर्ष गर्ग, और डॉ. अशोक कुमार यादव और डॉ. केएम तिवारी ने गवाही दी। यह महत्वपूर्ण था क्योंकि वादी के भाई और भतीजे दोनों ने गवाही दी। एक वकील के रूप में, हर्ष ने खुद अपना मामला पेश किया।

वकालत की पढ़ाई की

24 वर्षीय हर्ष गर्ग ने बताया कि वे अपनी वकालत के अलावा न्यायिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अपने पक्ष में एक दमदार तर्क दिया है। वे हिम्मत से काम लेते रहे और तब तक नहीं रुके जब तक कि आरोपियों को न्याय के कठघरे में नहीं खड़ा कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जब वे सात साल के थे, तब उनका अपहरण कर लिया गया था। उनके पिता को गोली मार दी गई थी। वे आज तक उस अनुभव को भूल नहीं पाए हैं। उनके पिता रवि गर्ग वर्तमान में मनरेगा लोकपाल हैं।

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