देश की आजादी को 74 साल बीत गए लेकिन अभी भी इस लोकतांत्रिक देश के तमाम हिस्सों में लोग अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। संविधान में उल्लेखित देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार के इतर अभी भी देश के कई हिस्सों में दलित समुदाय के लोगों के साथ कई तरह की घटनाएं घटित होती दिख रही है। सर्वणों ने किया 60 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार
बीजू जनता दल शासित ओडिशा में भी यहीं आलम है। इस राज्य के कई हिस्सों से आये दिन ऐसी खबरें सामने आती रहती है। पिछले साल एक दलित लड़की ने जिज्ञासावश किसी के बाग़ान से सूरजमुखी का एक फूल तोड़ लिया था। जिसके बाद सवर्णों ने 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया था। इस बार भी मामला कुछ ऐसा ही है।
जानें क्या है मामला?
ओडिशा के बरगढ़ के गौरेनमुंडा गांव से सामने आया यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है। इस गांव में सवर्णों ने 60 दलित परिवारों का बहिष्कार कर दिया है। खबरों की माने तो पीड़ित लगातार इस मामले में पुलिस से मदद की मांग कर रहे हैं लेकिन किसी भी तरह की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
बताया जा रहा है कि एक दलित साही इलाके में दो लोगों के बीच कहा सुनी हो गई। जिसके बाद गांव में एक ग्राम सभा बुलाई गई। उस बैठक में सवर्णों ने कथित तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर दलितों को अपमानित करना शुरु किया और उन्हें गांव से भगाने की धमकी तक दे डाली।
उस ग्राम सभा के बाद दलित परिवारों ने आरोप लगाया है कि उन्हें बहिष्कृत किया गया है। खबरों के मुताबिक दलितों को गांव में स्नान घाट, नलकूप समेत तमाम सुविधाओं का उपयोग करने से मना कर दिया गया है।
शुक्रवार से धरने पर बैठे हैं दलित परिवार
बताते चले कि इस मामले को लेकर दलित परिवार लगातार पुलिस से कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी तरह की कोई सुनवाई नहीं हुई है। दलित परिवार शुक्रवार से गैसिलेट थाने के सामने धरने पर बैठे हैं। उन्होंने एसडीपीओ को ज्ञापन सौंप तुरंत मदद करने की मांग की है।