पिछले साल से जारी किसान आंदोलन आखिरकार 378 दिनों के बाद खत्म हो गया। इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से घोषणा की गयी। इससे पहले मोर्चा ने काफी लंबी बैठक की और फिर फैसला लिया कि घर वापसी करना है। इसी बीच सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में किसान नेता राकेश टिकैत के साथ ही कई बड़े नेता मौजूद रहे।
किसान नेता बलवीर राजेवाल की ओर से जानकारी दी गयी कि हम सरकार को झुकाकर लौट रहे हैं। राजेवाल ने कहा कि 15 जनवरी को फिर से किसान मोर्चा की बैठक होगी और इसी बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। किसान आदोलन वापसी के ऐलान के बाद बॉर्डर से 11 दिसंबर को लौटने लगेंगे। 13 दिसंबर को अमृतसर में किसान हरमिंदर साहिब पर मत्था टेकने जाएगें और पंजाब के टोल प्लाजा पर जो किसान अड़े थे वे भी अब 15 दिसंबर से हट जाएंगे।
आंदोलन वापसी के बाद सिंघु-कोंडली बॉर्डर से टेंट हटने शुरू
दिल्ली बॉर्डर पर जो किसान फिलहाल डटे हैं उन्होंने भी ‘घर वापसी’ की तैयारी करनी शुरू कर दी है। सिंघु-कोंडली बॉर्डर पर बी यही हाल है। यहां पर पिछले एक साल से डटे किसान अब घर वापसी करने में लगे है। किसानों ने बॉर्डर पर बनाए अपने टेंट समेटने लगे और तिरपाल, बिस्तर सब समेट कर ट्रकों-ट्रैक्टरों में रखने लगे। किसान कहते हैं कि सरकार ने उनकी मांगों को मान ली ऐसे में अब वो घर लौट रहे हैं। पंजाब की बात करें तो वहां के 32 किसान संगठनों ने भी प्रस्ताव किया है कि घर वापसी किया जाए। घर वापसी के लिए पंजाब के किसानों ने 11 दिसंबर की तारीख चुनी है।
आपको बता दें कि पिछले साल सितंबर में सरकार ने तीन कृषि कानूनों को पास किया पर भारी विरोध में इसी साल के दिसंबर में कानूनों को सरकार के द्वारा वापस ले लिया गया। दिल्ली की सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले साल 26 नवंबर से किसान डटे हुए हैं। तीनों कृषि कानूनों की वापसी पर किसान अड़े हुए थे।