अंतरिक्ष में कई रहस्य छुपे हुए हैं और वैज्ञानिक इन रहस्यों से पर्दा उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिकों को अपने एक शोध में सूर्य के सौर मंडल की सीमा खत्म होने के बाद एक बेहद रहस्यमयी क्षेत्र का पता चला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि न सिर्फ उन्हें इस इलाके में प्रचुर मात्रा में सोना मिला है बल्कि इस इलाके में 24 घंटे अंधेरा रहता है यानी यहां रोशनी नहीं है। साथ ही इस जगह पर ऑक्सीजन भी मौजूद है। और तो और, यहां बर्फ के लाखों बौने पिंड हैं। यहां जो भी पहुंचता है वह बर्फ बन जाता है। हम बात कर रहे हैं अंतरिक्ष के सबसे बड़े रहस्यों में से एक कुइपर बेल्ट की। इसके बारे में जो कुछ भी पता चल रहा है वह इसके रहस्य को और बढ़ाता जा रहा है।
और पढ़ें: Indian railway: घोड़े बेचकर सोता रहा स्टेशन मास्टर, जगाने के लिए आधे घंटे तक हॉर्न बजाता रहा ड्राइवर
कुइपर बेल्ट सबसे रहस्यमयी जगह है क्योंकि यहां हमेशा अंधेरा और बहुत ठंड रहती है। ऐसा माना जाता है कि जब सौर मंडल का निर्माण हो रहा था तो इसके बनने के बाद जो भी टूट-फूट हुई वह यहां तक पहुंची। अब तक केवल एक ही अंतरिक्ष यान कुइपर बेल्ट तक पहुंच सका है, वह है नासा का न्यू होराइजन्स, जिसने 2015 में प्लूटो और 2019 में अरोकोथ से उड़ान भरी थी।
कुइपर बेल्ट के रहस्य
कुइपर बेल्ट का नाम डच-अमेरिकी खगोलशास्त्री जेरार्ड कुइपर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1951 में प्लूटो से परे वस्तुओं के बारे में अनुमान लगाते हुए एक पेपर प्रकाशित किया था। यहां 3100 से अधिक समान वस्तुएं खोजी गई हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 20 मील से बड़ी सैकड़ों-हजारों वस्तुएं हैं जो अभी भी नहीं मिली हैं। कुइपर बेल्ट में वस्तुएँ कभी-कभी टकराती हैं। यहां से धूल भी निकलती है जो सौर वायु द्वारा सौरमंडल से बाहर चली जाती है।
वहीं, कुइपर बेल्ट का औसत सतह तापमान लगभग -390 °F (-235 °C) या 50 केल्विन (-223 °C या -370 °F) है , जो इसे अंतरिक्ष के सबसे ठंडे क्षेत्रों में एक बनाता है।
यहां है भरपूर सोना
कुइपर बेल्ट में कई धात्विक क्षुद्रग्रह हैं, जो धातुओं से समृद्ध हैं। इनमें सोना भी प्रचुर मात्रा में है। हालांकि, खनन और अन्वेषण की उच्च लागत के कारण अंतरिक्ष से सोना निकालना वर्तमान में आर्थिक रूप से संभव नहीं है।
क्या यहां जीवन पनप सकता है
वैज्ञानिकों का कहना है कि कुइपर बेल्ट पृथ्वी से तीन गुना बड़ी है। लेकिन यहां तापमान इतना कम है कि यहां पृथ्वी जैसा जीवन कायम रहना बेहद असंभव है। पृथ्वी सौर मंडल के रहने योग्य क्षेत्र में आती है, यानी वह स्थान जहां जीवन बहुत आसानी से पनप सकता है।
और पढ़ें: जितनी बार ब्रेक लगती है, उतना रेलवे को पैसे का होता है फायदा, आप भी जानें वंदे भारत कि ये खासियत