Muzaffarnagar Mosque Dispute: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित एक मस्जिद और चार दुकानों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है। यह संपत्ति पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान (Pakistan’s first PM Liaquat Ali Khan) के परिवार ने बनवाई थी और हाल ही में इस मुद्दे पर विवाद गहरा गया है। मस्जिद और दुकानों को शत्रु संपत्ति घोषित किए जाने के बाद यह मामला अब और भी सुर्खियों में आ गया है। आईए जानते हैं कि वो कौन से कारण थे जिनकी वजह से इसे शत्रु संपत्ति घोषित किया गया।
मामले की शुरुआत- Muzaffarnagar Mosque Dispute
राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा ने 10 जून को तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट अरविंद मल्लप्पा बंगाली को शिकायत दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली के परिवार की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करके मस्जिद और चार दुकानें बनाई गई हैं। इस शिकायत के बाद मामले की जांच शुरू की गई थी।
संजय अरोड़ा ने अपनी शिकायत में यह कहा था कि यह संपत्ति पाकिस्तान से संबंधित शत्रु संपत्ति है, और इस पर कब्जा करके अवैध रूप से धार्मिक स्थल और दुकानों का निर्माण किया गया। वहीं, दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष का कहना था कि यह संपत्ति 1930 में वक्फ के नाम पर चढ़ाई गई थी, और यह एक वैध धार्मिक स्थल है।
जांच की प्रक्रिया
मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगाली ने एडीएम राजस्व गजेंद्र कुमार, एमडीए सचिव, सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम सदर, सीओ सिटी और नगर पालिका ईओ की टीम गठित की थी। इस टीम को आरोपों की जांच के लिए भेजा गया था। जांच के बाद इस टीम ने अपनी रिपोर्ट शत्रु संपत्ति कार्यालय दिल्ली को भेजी थी, जिसमें इस संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करने का सुझाव दिया गया था।
इसके बाद, भारत सरकार के शत्रु संपत्ति अभिकरण कार्यालय ने एक टीम को मुजफ्फरनगर भेजा, जिसने दोनों पक्षों की सुनवाई की और रिपोर्ट के आधार पर मस्जिद और दुकानों को शत्रु संपत्ति घोषित करने का आदेश जारी किया।
मुस्लिम पक्ष का दावा
मुस्लिम (Liaquat Ali property dispute) पक्ष ने इस संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया और दावा किया कि इस संपत्ति पर उनके अधिकार हैं। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि खसरा नंबर 930 पर दर्ज दुकानों का किराया वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली को नियमित रूप से जमा किया जा रहा है। इस पक्ष के प्रतिनिधियों ने जांच टीम को 10 नवंबर 1937 का एक पत्र भी सौंपा, जिसमें यह उल्लेख था कि यह संपत्ति वक्फ बोर्ड की संपत्ति थी।
मुस्लिम पक्ष का कहना था कि यह संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में है और यहां कोई अवैध कब्जा नहीं किया गया है। इस दावे के बावजूद शत्रु संपत्ति कार्यालय ने इसे शत्रु संपत्ति मानते हुए कार्रवाई की है।
शत्रु संपत्ति क्या है? (what is enemy property)
शत्रु संपत्ति वह संपत्ति है जिसे भारत सरकार के अनुसार देश के विभाजन के समय पाकिस्तानी नागरिकों या उनके परिवारों द्वारा छोड़ दिया गया था। विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आई यह संपत्ति शत्रु संपत्ति के रूप में अधिग्रहित की गई थी और इसका प्रबंधन भारत सरकार द्वारा किया जाता है। शत्रु संपत्ति का न तो उसके मालिक द्वारा उपयोग किया जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है।
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