देश में अभी के समय में तमाम वैसे नियम और कानून हैं जो हमें अंग्रेजों की ओर से मिले है और अभी भी हम लगातार उसे उपयोग में ला रहे हैं। जिसे लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह (आईपीसी की धारा-124 ए) पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र से पूछा गया कि इस औपनिवेशिक कानून को क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए, जिसका इस्तेमाल कभी ब्रिटिश सरकार द्वारा स्वतंत्रता आंदोनों को दबाने और महात्मा गांधी व बाल गंगाधर तिलक दैसे नेताओं पर अत्याचार करने के लिए किया जाता था।
चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि इस कानून को 75 साल बाद भी जारी रखा गया है। सरकार कई अप्रचलित कानूनों को खत्म कर रही है। हम नहीं जानते कि वह इस कानून को क्यों नहीं देख रही है? अंग्रेजों के जमाने के कानून देश के विकास में बन रहे बाधक
अब बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि अंग्रेजों की ओर से बनाए गए 222 कानून देश के विकास में अवरोधक बन रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अंग्रेजों के जमाने में जो कानून बनाए गए हैं, उनको खत्म करने के लिए हम जनता के साथ सभी कानून के प्रतियों की होली जलाएंगे।
‘इन कानूनों के कारण भारत के टुकड़े हो रहे हैं’
बीते दिन रविवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर में हिंदू महासभा की ओर से अंग्रेजों के जमाने में बने कानूनों के बहिष्कार के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस दौरान बीजेपी नेता ने यह बात कही। अश्विनी उपाध्याय ने कहा, ‘जिस प्रकार महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो का नारा जनता को दिया था वैसे ही हम काले अंग्रेजी कानूनों को भारत छोड़ो का नारा दे रहे हैं। अंग्रेजों को गए कई साल बीत गये हैं लेकिन आज भी हम पर जबरन ये कानून लागू हैं। जबकि इन सभी कानून के चलते भारत के टुकड़े हो रहे हैं। भारत में न नक्सलवाद बंद हो रहा है ना माओवाद ना ही कट्टरवाद। इन कानूनों के कारण ही देश में कई घोटाला करने वाले खुले आम घूम रहे हैं।‘
‘सत्ता की गुलाम बनकर रहेगी पुलिस’
बीजेपी नेता ने कहा, ‘मंगल पांडेय की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने मैकाले को बोला कानून बनाओ और कानून ऐसा बनाओ जिससे हम कानून के जरिए ही यहां के लोगों को बंधक बना लें। मैकाले ने 1857 में कानून का ड्राफ्ट तैयार करना शुरू किया और 1860 में कानून लागू किया। उस कानून को इंडियन पीनल कोड कहते है और 1861 में पुलिस एक्ट बना था। पुलिस एक्ट ऐसा है कि पुलिस हमेशा सत्ता की गुलाम बनकर रहेगी। जो पुलिस पहले अंग्रेजों की गुलाम थी वह आज सत्ता की गुलाम है।‘
पुलिस की मौजूदगी में हुआ कश्मीर से पलायन
अश्विनी उपाध्याय ने कहा, ‘अंग्रजों के बनाए इस घटिया काले कानूनों की बदौलत ही पश्चिम बंगाल में लोगों पर अत्याचर होता रहा। कश्मीर में 1990 में जो पलायन हुआ वो रात के धंधरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले पुलिस की मौजूदगी में हुआ था। उस दिन कश्मीर में हत्याएं होती रहीं, लोगों के घर जलाए गए लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। इसी कानून का नतीजा है कि कश्मीर में अलगाववादी लाउडस्पीकर से आवाज दे रहे थे कि कश्मीर छोड़ो लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। यदि पुलिस ने उस समय कार्रवाई की होती तो कश्मीर से पलायन नहीं होता।‘
सरकार को बनाना चाहिए नया कानून
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ने आगे कहा कि ‘इस अंग्रेजी कानून के चलते आम जनता परेशान है। भारत में आज भी मुकदमों में फैसला आने में सालों लग जाते है। भारत में भी फ्रांस, अमेरकिा और सिंगापुर की तरह कानून होना चाहिए, जिसमें फैसले जल्द हों। कानून अगर कठोर होगा तो मुनाफाखोरी, रिश्वतखोरी के साथ समाज की कई बुराईयां खत्म हो जाएंगी।‘
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि भारत सरकार को अमेरिका और फ्रांस के कानून अध्ययन करके नया कानून बनाना चाहिए।