देश में कोरोना की दूसरी लहर ने पिछले कुछ महीनों में तबाही का ऐसा मंजर छोड़ा है। जो भारत के लोग शायद कभी भूल नहीं पाएंगे। दूसरे लहर में संक्रमण के कारण रिकार्डतोड़ लोगों की मौत हुई। कई जानें-मानें दिग्गज भी इसके चपेट में आ गए और दुनिया को अलविदा कह दिया।
इसी बीच द फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बद शुक्रवार देर राच चंडीगढ़ पीजीआई में निधन हो गया। उनके निधन से देश में शोक की लहर दौड़ आई है।
पिछले दिनों कोरोना से हो गई थी बीबी की मौत
1958 के राष्ट्रमंडल खेलों के चैंपियन और 1960 के ओलंपिक खिलाड़ी मिल्खा सिंह 20 मई को कोरोना की चपेट में आए थे। उनके परिवार के रसोईए को कोरोना हो गया था, जिसके बाद मिल्खा सिंह और उनकी बीबी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। पिछले दिनों कोरोना संक्रमण से जूझते हुए निर्मल कौर ने 85 वर्ष की उम्र में दम तोड़ दिया और अब 91 साल की उम्र में मिल्खा सिंह ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
दरअसल, 20 मई को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद 24 मई को मिल्खा सिंह को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 30 मई को उनकी तबीयत में सुधार को देखते हुए अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
3 जून को ऑक्सीजन लेवल में गिरावट के बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। बीते दिन शुक्रवार को उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई। शुक्रवार को तेज बुखार के साथ उनका ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया था। हालांकि, गुरुवार शाम ही उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
भारत को दिलाए हैं कई गोल्ड
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने एशियाई खेलों में भारत को चार स्वर्ण पदक दिलाए। 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने पीला तमगा हासिल किया। 1960 के रोम ओलंपिक में 400 मीटर की दौड़ में वह चौथे स्थान पर रहे थे। रोम ओलंपिक को लेकर अक्सर मिल्खा सिंह से जुड़ी इस कहानी का जिक्र होता है कि दौड़ने के दौरान सिर्फ पीछे मुड़कर देखने के कारण उन्होंने पदक गंवा दिया था।
एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद इस बात का खुलासा भी किया था। मिल्खा सिंह ने कहा था कि ‘मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी थी और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया।‘ इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकंड में दौड़ पूरी की थी। साल 1959 में फ्लाइंग सिख को पद्म श्री से नवाजा गया था।