पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के सह संस्थापक बाबा रामदेव की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले दिनों उन्होंने ऐलोपैथी दवाईयों और डॉक्टरों को लेकर विवादित बयान दिया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने अपना बयान वापस लिया। लेकिन विवाद अभी भी बढ़ता ही जा रहा है। ऐलोपैथी पर बयान देकर बुरी तरह से फंसने के बाद अब रामदेव अपनी ही कंपनी के सरसों के तेल को लेकर मुश्किलों में घिर गए हैं।
राजस्थान के अलवर में प्रशासन ने पतंजलि कंपनी के सरसों के तेल में मिलावट की आशंका में सिंघानिया ऑयल मिल को सीज कर दिया है। इस मील से भारी मात्रा में सरसों का तेल बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को जाता है। जिसके बाद पतंजलि इस तेल पर अपना ठप्पा लगाकर बाजारों में सप्लाई करती है।
सैंपल्स की रिपोर्ट आने के बाद होगी कार्रवाई
खबरों के मुताबिक अलवर के सिंघानिया ऑयल मिल पर कार्रवाई के दौरान जिला कलेक्टर भी मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने इस पूरे घटना की वीडियोग्राफी भी करवाई है। बताया जा रहा ह कि फैक्ट्री में पतंजलि की भारी मात्रा में पैकिंग सामग्री बरामद की गई है।
हालांकि, इस मिल के पास रामदेव की कंपनी पतंजलि की पैकिंग की अनुमति पहले से है। फैक्ट्री में मौजूद सरसों के तेल कच्ची घानी और स्लेपर से निकाले गए तेल के स्टॉक के साथ-साथ मौजूद कच्चे सामानों के सैंपल्स लिए गए हैं। सैंपल्स की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
खाद्य तेल संगठन पतंजलि के तेल पर पहले ही जता चुका है आपत्ति
प्रशासन का कहना है कि जैसे ही सरसों के तेल में मिलावट की बात पता चली तो शिकायत के आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अलवर के एसडीएम योगेश डागुर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने फैक्ट्री पर कार्रवाई करते हुए उसे सीज कर दिया है ताकि समान इधर-उधर ना हो सके।
बता दें, खाद्य तेल संगठन पहले ही पतंजलि के सरसों के तेल पर आपत्ति जता चुका है। हालांकि अब बाबा रामदेव की पतंजलि ब्रांड के नाम से सरसों के तेल की पैकिंग और मिलावट किये जाने की सूचना के बाद प्रशासन ने फैक्ट्री पर छापेमारी कार्ऱवाई करते हुए देर रात ही सीज कर दिया है।
शहद में शुगर सिरप की मिलाटव
आपको बताते चले कि पतंजलि के कई प्रोडक्ट्स पर सवाल उठते रहे हैं। पिछले साल CSE की टीम ने भारतीय बाजारों में बिक रहे शहद के लगभग सभी ब्रांडो को लेकर बड़ा खुलासा किया। CSE की महानिदेशक सुनीता नारायण ने बताया था कि भारतीय बाजारों में बिक रहे शहद के लगभग सभी ब्रांडों में जबरदस्त तरीके से शुगर सिरप की मिलावट हो रही है।
शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए। CSE ने शहद के 13 ब्रांड्स की जांच की थी, जिनमें से मात्र 3 ब्रांड सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर सभी परीक्षणों में पास पाए गए। इस बड़े खुलासे के बाद पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा था कि यह सिर्फ हमारे प्रोडक्ट को बदनाम करने की साजिश है, जिससे प्रोसेस्ड शहद का प्रचार किया जा सके।
सेना ने लगा दिया था पतंजलि के आंवला जूस पर बैन
इससे पहले एक आरटीआर में खुलासा हुआ था कि पतंजलि के करीब 40 फीसदी प्रोडक्ट हरिद्वार की एक लैब क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए। आरटीआई के अनुसार 2013 से 2016 के बीच 82 सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 32 उत्पाद की क्वालिटी मानकों पर खरी नहीं उतरी। इसमें पतंजलि आंवला दिव्य जूस और शिवलिंगी बीज भी शामिल थे।
वहीं, सेना की कैंटीन ने भी पतंजलि के आंवला जूस पर बैन लगा दिया था। क्योंकि यह पश्चिम बंगाल की पब्लिक हेल्थ लैब की जांच में फेल पाया गया था। इस पर भी आचार्य बालकृष्ण ने प्रतिक्रिया देते हुए लैब की रिपोर्ट को गलत बताया था। तब उन्होंने कहा कि यह पतंजलि ब्रांड की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।