बिहार की सियासत में एक बार फिर से बवाल जारी है। एनडीए गठबंधन की सरकार में अंदरुनी कलह के बीच नीतीश कुमार की जदयू एक बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू राज्य की तीसरी पार्टी बन गई थी, जिसके लिए जदयू के तमाम नेताओं ने चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।
अब जदयू कथित तौर पर एलजेपी से वसूली कर रही है। पिछले दिनों बिहार विधान परिषद में एलजेपी की एकमात्र प्रतिनिधित्व करने वाली नूतन सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। अब एलजेपी के 5 सांसद बागी होने के कगार पर है। जिसके बावत उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र भी लिखा है।
JDU में शामिल हो सकते हैं एलजेपी सांसद
पिछले दिनों हाजीपुर लोकसभा सीट से एलजेपी सांसद पशुपति पारस ने जदयू के बड़े नेता ललन सिंह से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि एलजेपी के सभी सांसदों ने पशुपति पारस को अपना नेता मान लिया है। बताया जा रहा है कि 5 सांसद जल्द ही नीतीश कुमार की जदयू में शामिल हो सकते हैं। अब हालात ऐसे होते जा रहे है कि पार्टी में अध्यक्ष चिराग पासवान अकेले पड़ते दिख रहे हैं। क्योंकि पहले भी कई बड़े नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं।
किसी बड़ी पार्टी में हो सकता है LJP का विलय
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की मौत के बाद NDA में बीजेपी ने भी एलजेपी से किनारा कर लिया है। एलजेपी के कई नेता लगातार बीजेपी और जदयू में शामिल हो रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू को टक्कर देने की बात करने वाली एलजेपी को मात्र 1 सीट पर जीत मिली थी।
जिसके बाद से ही पार्टी में टूट पड़नी शुरु हो गई। कई नेताओं ने यह कहते हुए पार्टी छोड़ दिया था कि राम विलास पासवान उनके नेता थे और अब उनकी मृत्यु के बाद पार्टी में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।
ऐसे में एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान आगे क्या कदम उठाते हैं इस पर सबकी नजरें टिकी हुई है। इस तरह की खबरें भी निकल कर सामने आ रही है कि आने वाले दिनों में वह किसी बड़ी पार्टी में एलजेपी का विलय कर सकते हैं।