पहले केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों की वापस किया लेकिन फिर भी किसानों की कई और मांगें थीं जिनको लेकर वो कानून वापसी के बाद भी घर वापसी को तैयार नहीं थे। अब ऐसा क्या हो गया कि किसानों ने प्रदर्शन खत्म कर घर जाने का फैसला लिया? और इस फैसले का सार्वजनिक तौर पर ऐलान भी किया है? यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि एक चिट्ठी का भी। यहां जिक्र जोरों शोरों से किया जा रहा है, तो अब सवाल ये है कि इस चिट्ठी में ऐसा क्या है किसानों के कदम घर की तरफ मुड़ गए? चलिए इस बारे में जानते हैं सबकुछ पूरे डीटेल में…
दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान कर दिया कि किसान आंदोलन को फिलहाल खत्म किया जाता है और घर लौटा जाएगा। हुआ ये कि एमएसपी, मुआवजा और केसेज को खत्म करने के संबंध में सरकार से लिखित आश्वासन के मिलने के बाद किसान आंदोलन वापसी की बात कर रहे थे। अब जो है किसानों ने घर लौटने का फैसला किया है। मोदी सरकार की तरफ से एमएसपी पर कमिटी बनाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है और अब तुरंत प्रभाव से किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज केसों को खत्म करने की मांग को भी मान लिया गया है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के जो सचिव है संजय अग्रवाल उनकी तरफ से लिखी गई चिट्ठी में किसानों की उन 5 मांगों को मान लिया गया है जो कि लंबित है और इसी के साथ आंदोलन को किसानों ने 14 महीने बाद खत्म करने का ऐलान कर दिया।
चिट्ठी में क्या लिखा गया है?
इसमें लिखा गया है कि पीएम के और बाद में कृषि मंत्री ने एमएसपी एक कमिटी के गठन करने की घोषणा की है जिसमें कई लोग शामिल होंगे जैसे कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार इसके अलावा किसान संगठनों के प्रतिनिधि और तो और इसमें कृषि वैज्ञानिक को भी शामिल किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी किसान प्रतिनिधियों में शामिल होंगे। देश के किसानों को एमएसपी मिलना कैसे तय किया जाए कमिटी का यही मैनडेट होगा।
दूसरे पॉइंट में देखें तो लिखा है कि किसानों के अगेंट्स आंदोलन के समय जो केस हैं, तो इसको तत्काल प्रभाव से वापस लेने का यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने भी इस पर अपनी सहमति दी है। भारत सरकार के संबंधित विभाग इसके साथ ही एजेंसियों और दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित एरिया में जो भी केसेज आंदोलनकारियों और समर्थकों पर लगाए गए हैं उनको तत्काल प्रभाव से वापस लेने पर सहमित दर्ज कराई गई है। केंद्र सरकार बाकी के राज्यों से भी ऐसी अपील करेगी कि केसेज लौटा लिया जाए।
तीसरे बिंदु में मुआवजे पर सरकार की ओर से कहा गया कि इसके पहले हरियाणा इसके अलावा यूपी सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर अपनी सहमति दी है। जहां तक पंजाब सरकार की बात है तो वहां पहले ही सरकार की तरफ से मुआवजे की घोषणा कर चुकी है। चौथे बिंदु में सरकार की तरफ से बिजली बिल का जिक्र किया गया जिसमें किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर चर्चा की जाएगी और ये चर्चा पहले सभी हितधारकों/संयुक्त किसान मोर्चा से होगी। जिसके बाद ही बिल संसद में पेश होगा।
लास्ट बिंदुओं में पराली के मुद्दे के बारे में कहा गया। जो कानून भारत सरकार ने पारित किया है उसकी धारा 14 और 15 में किसान को क्रिमिनल लाइबिलिटी से भारत सरकार ने मुक्ति दी है। सरकार की तरफ से कहा गया कि ये सभी प्रस्ताव से जितने भी 5 लंबित मांग है उनका हल हो जाता है। चिट्ठी में ये भी कहा गया कि किसान आंदोलन को अब जारी रखने का कोई भी औचित्य नहीं रहा तो किसान आंदोलन समाप्त करें।