प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान आपदा में अवसर को बिहार के कुछ जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने नकारात्मक तौर पर ले लिया और कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़ा जैसा बड़ा कांड हो गया। सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध नीतीश कुमार के बिहार में जानलेवा कोरोना वायरस की टेस्टिंग में बड़े पैमान पर गड़बड़ी की घटना सामने आई है।
घटना संज्ञान में आते ही बिहार सरकार ने आनन-फानन में कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। अब बिहार में विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर प्रदेश की एनडीए सरकार पर हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आनन फानन में जमुई के सिविल सर्जन समेत चार कर्मियों के सस्पेंड और छह कर्मियों की बर्खास्ती को महज दिखावा बताया है।
‘चुनावी चंदा देने वालों को बचा रहे सीएम’
आरजेडी नेता ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए कहा, ‘अरबों का कोरोना घोटाला सामने आने के बाद नीतीश जी दिखावटी तौर पर जैसा कि पूर्व के 61 घोटालों में करते आए हैं छोटे स्तर के कर्मचारियों को बर्खास्त करने का नाटक रच, धन उगाही कर JDU को चुनावी चंदा देने वाले उच्च अधिकारियों को बचायेंगे। यही नीतीश कुमार की स्थापित नीति, नीयत और नियम है।‘
‘सारा माजरा आँकड़ों के अमृत मंथन का है’
इससे पहले उन्होंने ट्वीट करते हुए इस पर सवाल उठाए थे। तेजस्वी यादव ने कहा था कि ‘बिहार में टेस्टिंग की संख्या 4 महीनों तक देश में सबसे कम रही। विपक्ष और जनदबाव में नीतीश जी ने विपदा के बीच ही आँकड़ों की बाज़ीगरी नहीं करने वाले 3 स्वास्थ्य सचिवों को हटा दिया। फिर उन्होंने अपने जाँचे-परखे आँकड़ों की बाज़ीगिरी करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को नियुक्त किया।
….उसके बाद अगले 3 दिनों में ही टेस्टिंग की संख्या दुगनी हो गई और लगभग 15 दिनों में यह संख्या एक लाख और 25 दिनों में दो लाख तक पहुँच गई। उसी स्वास्थ्य संरचना से मात्र एक महीने से भी कम समय में यह प्रतिदिन जाँच का आँकड़ा इतना गुणा कैसे बढ़ गया? सारा माजरा आँकड़ों के अमृत मंथन का है।‘
स्वास्थ्य मंत्री पर लगे थे आरोप
बता दें, बिहार की विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। आरजेडी, कांग्रेस और जाप ने इस मामले को लेकर नीतीश सरकार पर सवाल दागे हैं। हालांकि, बिहार सरकार की ओर से कहा गया है कि मामले की जांच चल रही है। प्रदेश के 22 जिलों की जांच पूरी कर ली गई है, जिसमें से एक जगह से ऐसा मामला सामने आया है। जिसपर कार्रवाई की गई है।
गौरतलब है कि कोरोना काल में बिहार सरकार ने तीन बार स्वास्थ्य सचिवों को बदला था। जिसपर जमकर सियासत हुई थी। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय पर भी लगातार सवाल उठ रहे थे। तब बिहार में चुनाव की तैयारियां चल रही थी और विपक्ष पार्टियों ने आरोप लगाया था कि मंगल पाण्डेय प्रदेश की जनता के बारे मे सोचने के बजाए चुनाव पर ज्यादा फोकस कर रहे थे।