अफगानिस्तान में तालिबान का राज एक बार लौट आया है और साथ ही साथ डर भी। सिर्फ अफगानिस्तान के लोग ही खौफ में नहीं है, बल्कि तालिबान युग लौटने से दूसरे देशों को भी डर सता रहा है। खासतौर पर भारत को ज्यादा सतर्क रहने के सलाह दी जा रही है। वजह है कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल अब भारत में आतंकवादी गतिविधि बढ़ाने की किया जा सकता है। कश्मीर को लेकर चिंताएं बढ़ी हुई है।
…तो तालिबान राज का पड़ेगा कश्मीर पर असर?
तालिबान का उदय ऐसे वक्त में हुआ जब कश्मीर के हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 हटाने के बाद घाटी के हालात सामान्य हो गए। वहां आतंकवादी गतिविधियों में कमी आई है। ऐसे में क्या तालिबान राज के लौटने से एक बार फिर कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा, इस सवाल ने भारत सरकार की परेशानियां बढ़ाई हुई है।
वैसे अफगानिस्तान में तालिबान युग लौटने से पाकिस्तान काफी खुश है। पाकिस्तान के आतंकवादियों को लग रहा है कि वो तालिबान की मदद से कश्मीर में आग भड़का सकेगा। लेकिन अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद तालिबान की तरफ से कश्मीर पर जो बयान दिया गया है, वो पाकिस्तान की उम्मीदों को बड़ा झटका देगा।
कश्मीर पर तालिबान ने क्या दिया बयान?
तालिबान ने कश्मीर पर अपना रूख साफ किया है। खबरें आ रही है कि तालिबान ने कश्मीर पर एक बड़ा बयान देते हुए इसे भारत और पाकिस्तान के बीच का द्वीपक्षीय और आंतरिका मुद्दा बताया। तालिबान की ओर से कहा गया कि कश्मीर उसके एजेंडे का हिस्सा नहीं, ये दो देशों के बीच का मुद्दा है।
तालिबान का शासन भले ही अफगानिस्तान पर लौट आया हो, लेकिन इस बार उसकी कोशिश अपनी छवि दुनिया के आगे साफ करने में जुटा है। तालिबान लगातार विकास और लोगों का शासन लाने की बात कर रहा है। तालिबान की तरफ से दुनिया से ये वादा किया गया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल वो किसी भी देश के खिलाफ साजिश रचने, हमला करने के लिए नहीं करेगा।
फिर भी भारत के लिए सतर्क रहना जरूरी
हालांकि तालिबान की बातों पर उतना भी भरोसा करना ठीक नहीं। मौजूदा हालात से भारत की सुरक्षा को खतरा तो है ही, क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी जैसे पाकिस्तान के आतंकी संगठन की अफगानिस्तान में थोड़ी-बहुत मौजूदगी है । इन आतंकी संगठनों ने तालिबान की मदद से कुछ गांवों में और काबुल के कुछ हिस्सों में तालिबान की मदद से अपने चेक प्वाइंट बनाए है। यही वजह है कि सरकार भी तालिबान के अफगानिस्तान में लौटने से चौकन्नी है। खबरों के अनुसार कश्मीर में हालात अभी नियंत्रण हैं, हालांकि सुरक्षा की चौकसी बढ़ाई जाएगी।
वहीं पाकिस्तान खुफिया एजेंसी ISI तालिबान को प्रभावित करने की कोशिश करेगा। वो चाहेगा कि तालिबान की मदद से खुद को मजबूत करे, जिससे वो भारत में गड़बड़ी और हिंसा फैलाएं। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ISI के लिए इस बार ये सबकुछ करना आसान नहीं होगा। क्योंकि इस बार तालिबान समझदारी दिखा रहा है और वो काफी मजबूत नजर आ रहा है।