Tahawwur Rana Plea Rejected: 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अब भारत प्रत्यर्पित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने राणा की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने भारत भेजे जाने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। यह महत्वपूर्ण फैसला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित नोटिस के रूप में सामने आया।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला- Tahawwur Rana Plea Rejected
64 वर्षीय तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और वर्तमान में लॉस एंजिलिस स्थित मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। राणा ने फरवरी में सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट जस्टिस ऐलेना कगन के समक्ष एक ‘आपातकालीन याचिका’ दायर की थी, जिसमें उसने अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि, जस्टिस कगन ने राणा की याचिका को पहले ही खारिज कर दिया था, और इसके बाद राणा ने यह याचिका एक बार फिर से मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष प्रस्तुत की थी। इस पर कोर्ट ने इसे 4 अप्रैल, 2025 की ‘कॉनफ्रेंस’ के लिए सूचीबद्ध किया था, लेकिन सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, जिससे राणा के पास कानूनी विकल्प बेहद सीमित हो गए हैं।
मुंबई हमले में राणा की भूमिका
तहव्वुर राणा का नाम 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के साजिशकर्ताओं में से एक के रूप में सामने आया था। भारतीय जांच एजेंसियों के अनुसार, राणा ने पाकिस्तानी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली को भारत में आतंकी गतिविधियाँ अंजाम देने में मदद की थी। हेडली, जो अब अमेरिका में सजा काट रहा है, ने जांच में राणा की भूमिका को भी स्पष्ट किया था। भारत ने लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की थी, और अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस प्रक्रिया को अंतिम चरण में पहुंचने का रास्ता साफ हो गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति का समर्थन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। ट्रंप प्रशासन ने यह घोषणा की थी कि राणा को भारत भेजने की अनुमति दी गई है, ताकि वह 26/11 के हमले में अपनी संलिप्तता को लेकर भारत में मुकदमे का सामना कर सके।
तहव्वुर राणा की पृष्ठभूमि
तहव्वुर हुसैन राणा, जो अब कनाडा का नागरिक है, पहले अमेरिकी नागरिक भी रह चुका था। वह 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली का करीबी सहयोगी था। राणा ने पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर के तौर पर करीब 10 साल तक कार्य किया था, लेकिन बाद में उसने आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का रास्ता अपनाया। राणा ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैय्यबा और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी से मिलकर मुंबई हमले की योजना बनाई और इसमें अपनी भूमिका निभाई। इस हमले में करीब 179 लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।
भारतीय एजेंसियों की बड़ी सफलता
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता है, क्योंकि इससे राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी आएगी। भारत सरकार इस फैसले का स्वागत कर रही है और उम्मीद कर रही है कि अब राणा को जल्दी भारत लाया जाएगा, ताकि उसे मुंबई हमले में अपनी भूमिका के लिए न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़े।
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