हमारे देश में ये आम धारणा बन गई है कि अगर कोई आईएएस (IAS ) या आईपीएस (IPS ) अधिकारी है तो वो हमारे समाज का सबसे तकतवर इंसान है, वो जो चाहें वो कर सकता है। भले ही वो गलत काम ही क्यों ना हो? लेकिन ऐसी बाहियात धारणा को Supreme Court के जजों ने आईएएस अधिकारी ऋतु माहेश्वरी (Ritu Maheshwari ) के मामले में तोड़ दिया है जिसके बाद से जजों की तारीफ हो रही है। आपको बता दें , सुप्रीम कोर्ट से पहले हाई कोर्ट ने भी IAS ऋतु माहेश्वरी को फटकार लगा चुकी है।
क्या है पूरा मामला?
पिछले दिनों इलाहबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने मनोरमा कुच्छल और कुछ अन्य की याचिकाओं पर नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की सीईओ ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के संबंध में एक आदेश पारित किया था।
पूरा मामला नोएडा प्राधिकरण के द्वारा 1990 में याचिककर्ताओं की जमीन को अधिग्रहण से जुड़ा है। दरअसल इस मामले में अभी तक उन्हें नोएडा प्राधिकरण की ओर से कोई मुआवजा नहीं उपलब्ध कराया गया। ये लोग 32 साल से अपनी जमीन के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।बीते दिनों इस मामले को लेकर ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी ऋतु कोर्ट नहीं पहुंची, जिसके बाद IAS को अवमानना के मामले में ये वारंट जारी किया था।
जब सुप्रीम कोर्ट ने ऋतु माहेश्वरी को लगाई फटकार
हाईकोर्ट की ओर से जारी वारंट के खिलाफ IAS ऋतु माहेश्वरी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और उन्होंने अंतरिम राहत देने की मांग की। मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने IAS ऋतु माहेश्वरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हर रोज इलाहाबाद HC के आदेशों का उल्लंघन होता है। ये दिनचर्या हो गई है, हर रोज एक अधिकारी कोर्ट आ जाता है, ये क्या है? आप अदालत के आदेश का सम्मान नहीं करते। आपको बता दें कि अदालत ने ऋतु माहेश्वरी को पुलिस कस्टडी में लेकर 13 मई को हाईकोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। इससे पहले भी उन्हें दो बार इलाहबाद हाई कोर्ट ने बुलाया था लेकिन ऋतु माहेश्वरी कोर्ट नहीं पहुंची थी, जिसके बाद ये कार्रवाई कोर्ट ने सही समय पर ना पेश होने को लेकर उनपर की गई थी।
इससे पहले इलाहबाद हाई कोर्ट ने आईएएस अधिकारी पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा- “जब सुनवाई का समय सुबह 10 बजे का है और आप 10.30 बजे की फ्लाईट पकड़ रही है। ये कोर्ट आपकी सहूलियत के हिसाब से नहीं चलता।” हाईकोर्ट ने कहा था कि नोएडा की CEO ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का ये पर्याप्त आधार है। गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इस वारंट का पालन करवाएंगे। अदालत की ओर से आदेश दिया गया था कि अगले 48 घंटों के भीतर इस आदेश की प्रतिलिपि गौतमबुद्ध नगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को उपलब्ध करवाई जाए। 13 मई 2022 को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। इस दिन नोएडा प्राधिकरण की CEO ऋतु माहेश्वरी को पुलिस कस्टडी में अदालत के सामने पेश होना पड़ेगा।
ऋतु माहेश्वरी की गिरफ़्तारी पर लगी रोक
हालांकि इस दौरान नोएडा की सीईओ ऋतु माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ जारी इलाहबाद हाई कोर्ट के गैर जमानती वारंट पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान अंतरिम रोक लगा दी है, जिसके तहत फ़िलहाल इनकी गिरफ़्तारी नहीं होगी।