बीते डेढ़ सालों से देश भयंकर कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इस दौरान हर किसी ने काफी मुसीबतों का सामना किया। कोरोना की दूसरी लहर और ज्यादा भयंकर तबाही लेकर देश में आई थीं। कई लोगों ने इस दौरान अपने करीबियों को खोया। किसी के सिर पर माता-पिता का साया उठ गया, तो किसी ने अपने चाहने वालों ने दम तोड़ा।
‘मृतकों के परिजनों को देना होगा मुआवजा’
देश में कोरोना की वजह से अब तक 4 लाख के करीब लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस बीच अब कोरोना से होने वाली मौत पर मुआवजे को लेकर बहस छिड़ी हुई हैं। दरअसल, बीते दिनों सरकार ने मौतों पर चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने से इनकार कर दिया था। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक बड़ा आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि कोरोना से होने वाली मौतों पर सरकार को मुआवजा तो देना ही होगा। हालांकि इसकी राशि कितनी होगी, ये फैसला खुद केंद्र ही करें। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना कि मौतों पर 4-4 लाख रुपयों का मुआवजा नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने सरकार को ये निर्देश दिए कि वो एक ऐसा सिस्टम बनाए, जिससे कम से कम मुआवजा दिया जा सके। SC ने गाइडलाइंस तैयार करने के लिए सरकार को 6 हफ्तों का समय दिया है।
वहीं कोर्ट ने ये भी निर्देश दिए कि सरकार कोविड से जुड़े डेथ सर्टिफिकेट जारी करें और जो पहले से जारी सर्टिफिकेट हैं, उसमें सुधार करें।
सरकार ने 4 लाख का मुआवजा देने से किया था इनकार
दरअसल, कोर्ट में याचिका दायर कर कोरोना मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई थीं। जिस पर सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वो इतना मुआवजा नहीं दे सकती। पहले सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि अगर सबको 4 लाख रुपये दिए जाते हैं, तो फंड खत्म हो जाएगा।
इसके बाद दूसरे हलफनामें कहा कि बात पैसों की कमी की भी नहीं, मुद्दा सभी संसाधनों के तर्कसंगत और विवेकपूर्ण इस्तेमाल का है। इसलिए ये मुआवजा नहीं दिया जा सकता। केंद्र की ओर से ये भी कहा गया था कि 4 लाख का मुआवजा किसी आपदा में मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को दिया जाता है, लेकिन किसी महामारी अलग है। इसमें ऐसा नहीं किया जा सकता।
अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ये आदेश दे दिया है कि उन्हें मृतकों के परिजनों को मुआवजा देना ही पड़ेगा। हालांकि मुआवजा कितना होगा, ये तय करने का अधिकार कोर्ट ने केंद्र के जिम्मे ही छोड़ दिया।