केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है। 25 नवंबर से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन अभी भी जारी है। ना तो किसान संशोधन मानने को तैयार हो रहे और ना ही सरकार इन कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं हो रही।
दिल्ली-एनसीआर के खराब मौसम के बावजूद कंपकपाती हुई सर्दी में हजारों की संख्या में किसान बॉर्डर पर डटे हुए हैं और उनका यही कहना है कि वो जब तक वापस नहीं जाएंगे, जब तक सरकार इन कानून को वापस नहीं लेती। किसानों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। वहीं इस आंदोलन के चलते कई अन्नदाता अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
सरकार और किसानों के बीच जारी इस गतिरोध पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन को लेकर जो सरकार का रवैया रहा, उस पर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपने कानून पर रोक क्यों नहीं लगाई? चीफ जस्टिज एस ए बोबड़े ने दो टूक जवाब सरकार को देते हुए कहा कि अगर आप रोक नहीं लगाते तो हम लगा देंगे। इसके अलावा भी किसान आंदोलन को लेकर कई बड़ी टिप्पणियां की गई, आइए उसके बारे में आपको बताते हैं…
– चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले को जिस तरीके से सरकार हैंडल कर रही है, वो उससे खुश नहीं। हमें ये नहीं मालूम कि सरकार की किसानों के साथ क्या बातचीत हो रही है। हमें नहीं पता कि आप समाधान का हिस्सा है या फिर समस्या का? क्या थोड़े समय के लिए कृषि कानून को रोका नहीं जा सकता?
– चीफ जस्टिज ने हमारे पास एक भी ऐसी दलील नहीं आई, जिसमें कानून की तारीफ की गई हो। हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं, लेकिन क्या आप कानून को रोकने के लिए कुछ करेंगे या फिर हम कदम उठाएं? हालात खराब होते जा रहे है। कुछ लोग सुसाइड कर रहे हैं। बुजुर्ग और महिलाएं भी आंदोलन का हिस्सा हैं। आखिर ये सब चल क्या रहा है?
– CJI ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ये सुनिश्चित किया जाए कि प्रदर्शन वाली जगह पर कोई भी हिंसा या फिर ब्लड बॉथ ना हो। उन्होनें कहा कि अगर कुछ गलत हो जाता है, तो इसके लिए हम सभी जिम्मेदार होंगे। किसी भी पल छोटी सी चिंगारी हिंसा भड़का सकती है। हम नहीं चाहते कि किसी भी खूबखराबे का कलंक हम पर लगे।
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रदर्शन के खिलाफ नहीं। लेकिन अगर इन पर रोक लग जाती है, तो क्या किसान अपने घर लौट जाएंगे? कोर्ट ने कहा कि किसानों की मांग हैं कि कानूनों को वापस लिया जाए, जबकि सरकार मुद्दों पर बातचीत करना चाहती है। हम फिलहाल एक कमिटी बनाएंगे और जब तक कमिटी की बातचीत जारी रहती है कानून के अमल पर स्टे करेंगे।
– सुप्रीम कोर्ट में ये मुद्दा भी उठा कि इस तरह का अहम कानून संसद में ध्वनिमत से कैसे पास हुआ? CJI ने कहा कि संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए। हम अभी एक कमेटी बनाने का प्रपोजल दे रहे है। इसके अलावाव अगले आदेश तक कानून पर रोक लगाने पर भी विचार किया जा रहा है। कमेटी ही ये बताएगी कि कानून हित में है या फिर नहीं। मामले पर कल (मंगलवार) फिर सुनवाई होगी जिसमें कमिटी को लेकर फैसला किया जा सकता है। कोर्ट ने सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम मांगे, जिससे उनको कमिटी में शामिल किया जा सके।