हाल ही में सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि केस में सजा दी थी जिसके बाद राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट में गए थे. वहीं सूरत की सेशन कोर्ट ने सजा को बरक़रार रखा और इसके बाद हाई कोर्ट का रुख किया जहाँ भी उन्हें राहत नहीं मिली और इसके बाद राहुल सुप्रीम कोर्ट गये और सुप्रीम कोर्ट फैसला बदलते हुए मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल को राहत दी जिसके बाद अब राहुल की सदस्यता भी वापसी आ गयी है और राहुल गाँधी लोकसभा में नजर आये,. जहाँ सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहत मिलने के बाद ये मामला खत्म हो गया तो वहीं अब एक बार ये मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने मोदी सरनेम मानहानि केस की सुनवाई करने वाले गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस हेमंत एम प्रच्छह तबादला कर दिया है. कॉलेजियम ने प्रच्छक के अलावा गुजरात हाई कोर्ट के तीन अन्य जस्टिस का भी तबादला किया है. जिसके बाद अब ये मामला फिर से चर्चा में बन गया है.
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जानिए क्या था मामला
ये मामला 13 अप्रैल 2019 का है जब कर्नाटक में चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा था, “नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या, अनिल अंबानी और नरेंद्र मोदी….चोरों का ग्रुप है. आपकी जेब से पैसे लेते हैं. किसानों, छोटे दुकानदारों से पैसा छीनते हैं और उन्हीं 15 लोगों को पैसा देते हैं. आपको लाइन में खड़ा करते हैं. बैंक में पैसा डलवाते हैं और ये पैसा नीरव मोदी लेकर चला जाता है. इन सब चोरों के नाम मोदी-मोदी-मोदी कैसे हैं? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी और अभी ढूंढेंगे तो और मोदी निकलेंगे.
बीजेपी न नेता ने दर्ज किया था केस
वहीं इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी (BJP MLA Purnesh Modi) ने राहुल के खिलाफ मानहानि का केस दायर कर दिया है. मजिस्ट्रेट कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई. राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया गया लेकिन सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित भी कर दिया. वहीँ कोर्ट द्वारा सजा मिलने के बाद राहुल को संसद सदस्यता भी खत्म हो गयी थी.
जस्टिस प्रच्छक ने लगाई थी सजा पर रोक
रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली अपील पर जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक ने सुनवाई की थी. वहीँ जस्टिस प्रच्छह ने सुनवाई पूरी होने के 66 दिन के बाद फैसला देते हुए निचली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और सजा पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया. जिसके बाद राहुल सुप्रीम कोर्ट गये और सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत दी वहीँ सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर गुजरात हाई कोर्ट ने फैसले टिप्पणी भी की. जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने गुजरात हाई कोर्ट के चार जस्टिस के तबादले की सिफारिश की है.
जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक के साथ इन जजों का भी हुआ ट्रांसफर
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक का तबादले कर दिया है और वो पटना हाईकोर्ट में काम करेंगे. वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने विवेक कुमार सिंह का इलाहाबाद से मद्रास, अल्पेश वाई कोगजे का गुजरात से इलाहाबाद कुमारी गीता गोपी को गुजरात से मद्रास, समीर जे दवे का गुजरात से राजस्थान, अरविंद सिंह सांगवान का पंजाब एंड हरियाणा से इलाहाबाद, अवनीश क्षिंगन का पंजाब एंड हरियाणा से गुजरात, राजमोहन सिंह का पंजाब एंड हरियाणा से मध्य प्रदेश, अरुण मोंगा का पंजाब एंड हरियाणा से राजस्थान ट्रांसफर कर दिया है.
जानिए कौन हैं जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक?
आपको बता दें, ट्रांसफर किये जजों में जस्टिस हेमंत एम प्रच्छक का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है 4 जून, 1965 को गुजरात के पोरबंदर में पैदा हुए हेमंत एम प्रच्छक 2015 से लेकर 2019 तक केंद्र सरकार के स्थायी वकील के तौर काम किया. इसके बाद वो 18 अक्तूबर, 2021 को वे गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने. वहीं इस पद पर रहते हुए हेमंत एम प्रच्छक ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी बहुचर्चित मामले पर सुनवाई की थी और कोर्ट समर वेकेशन के लिए बंद होने का हवाल देकर निर्णय सुरक्षित कर लिया था. इसके बाद उन्होंने 66 दिन फैसला सुनाया था.
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