नोएडा अथॉरिटी के आंख, नाक, कान और चेहरे तक से भ्रष्टाचार टपकता है…सुप्रीम कोर्ट ने ये बात एक मामले की सुनवाई करते हुए कही। ये मामला है सुपरटेक टावर का। जिस पर सुनवाई के दौरान जब नोएडा अथॉरिटी के द्वारा जब बिल्डर के फैसले को सही ठहराने की कोशिश की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जज गुस्सा हो गए और उन्होंने नोएडा अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए ये सख्त टिप्पणी की।
कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को जमकर सुनाया
अदालत ने अथॉरिटी को ‘भ्रष्टाचारी संस्था’ तक बताते हुए कहा कि वो बिल्डरों से मिली हुई है और एक तरह से सुपरटेक की पैरवी कर रही है। कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि नोएडा अथॉरिटी को एक सरकारी नियामक संस्था की तरह बर्ताव करना चाहिए, ना कि उन्हें किसी के हितों के रक्षा के लिए निजी संस्था जैसे। इस मामले में फिलहाल कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
हाईकोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
बता दें कि इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में एमरॉल्ड कोर्ट ओनर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई की थी। इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एपेक्स और सियान टावरों को गलत ठहरा दिया था। साथ में इसको गिराने का भी आदेश दिया था। कोर्ट ने फ्लैट बुक कराने वालों को पैसा वापस करने को भी कहा था। इसके अलावा प्लान सेंक्शन (मंजूर) करने के लिए जिम्मेदार नोएडा अथॉरिटी पर आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। फैसले को नोएडा अथॉरिटी, सुपरटेक और कुछ फ्लैट खरीददारों ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती भी दी।
जिसके बाद इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में एपेक्स और सियान टावर गिराने पर रोक लगा दी और यथास्थिति को ही कायम रखने का आदेश दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने सुपरटेक के निदेशकों को ये आदेश भी किया कि जिन लोगों को पैसा वापस चाहिए, उन्हें दिया जाए।
साथ ही कोर्ट ने NBCC से दोनों टावरों को लेकर एक रिपोर्ट भी मांगी। अपनी रिपोर्ट में NBCC ने दोनों टावरों के बीच उचित दूरी नहीं होने की बात कही।
‘आप सुपरटेक के साथ मिले हुए हैं’
फिलहाल इस मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ के द्वारा की जा रही है। मामले पर सुनवाई के दौरान जब नोएडा अथॉरिटी के वकील ने दोनों टावरों के निर्माण को सही ठहराने की कोशिश की और रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की दलीलों का विरोध किया, तो इस पर जस्टिस एमआर शाह ने उनके बहस के तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आप जिस तरीके से फ्लैट के मालिकों के अगेंस्ट में ये केस लड़ रहे हैं, वो तरीका सही नहीं। जज ने आगे ये भी कहा कि आप केवल सुपरटेक की मदद ही नहीं कर रहे बल्कि उनके साथ मिले हुए भी हैं।
‘अथॉरिटी का काम हैरान करने वाला’
वहीं सुनवाई कर रहे जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी इस पूरे केस में नोएडा अथॉरिटी की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उन्होंन कहा कि अथॉरिटी का काम हैरान करने वाला है। वो बोले कि रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने जब आपसे बिल्डिंग का सेक्शन की मांग की, तो इसके लिए सुपरटेक से पूछा। उन्होंने इनकार किया, तो आपने प्लान नहीं दिया। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर प्लान दिया।
जस्टिस चंद्रचूड़ आगे सख्त टिप्पणी करते हुए बोले कि नोएडा एक भ्रष्ट निकाय है। जिसकी आंख, नाक, कान और यहां तक कि चेहरे तक से भी भ्रष्टाचार टपकता है।
रेजीडेंट एसोसिएशन ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
मामले में रेजीडेंट एसोसिएशन की याचिका में जो मुख्य दलील दी गई है वो यही है कि सुपरटेक ने एपेक्स और सियान टावर बनाने में दो बिल्डिंगों के बीच की उचित दूरी के नियम का उल्लंघन किया। साथ ही सुपरटेक ने उनके लिए तय कॉमन एरिया और हरित क्षेत्र में भी कटौती की और उस जगह नए टावर बनाने पर सहमति नहीं ली।
‘दूरी की व्याख्या करें सुप्रीम कोर्ट’
वहीं इस विवाद का हल निकालने के लिए कोर्ट ने एक न्याय मित्र भी नियुक्त किया। जिन्होंने कोर्ट में बताया कि फायर सेफ्टी के मुताबिक नियम होते हैं, जिसके अनुसार दो बिल्डिंग के बीच में कितनी दूरी होनी चाहिए, ये उनकी ऊंचाई के आधार पर तय किया जाता है। सबसे ऊंची बिल्डिंग की ऊंचाई से आधी दूरी दो बिल्डिंगों के बीच होनी चाहिए। जैसे, अगर बिल्डिंग 20 मीटर ऊंची है तो बिल्डिंगों में 10 मीटर की दूरी होनी चाहिए। न्याय मित्र गौरव अग्रवाल ने कहा कि भविष्य में दो बिल्डिंग के बीच जरूरी दूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट को व्याख्या करनी चाहिए।
नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक की दलील
वहीं सुनवाई के दौरान नोएडा अथॉरिटी के वकील रविन्द्र कुमार ने बिल्डिंग सैंक्शन प्लान देने वाले अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा करने के हाईकोर्ट के आदेश का विरोध किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अधिकारियों को पक्षकार नहीं बनाया और उनका पक्ष भी नहीं हुआ। इसके अलावा सुपरटेक ने सुनवाई के दौरान नियमों का उल्लंघन नहीं करने की बात कही।
दोनों टावरों की ताजा स्थिति सुपरटेक ने बताई
वहीं बुधवार को सुपरटेक के द्वारा कोर्ट को ये भी बताया गया कि एपेक्स और सियान टावर में 915 फ्लैट और 21 दुकानें हैं। जिसमें 633 लोगों ने शुरू में बुकिंग कराई थी। इसमें से 248 लोग पैसा वापस ले चुके हैं, जबकि 133 ने सुपरटेक के दूसरे प्रोजेक्ट में निवेश किया। अभी 252 लोग बाकी है, जिन्होंने पैसे वापस नहीं लिया है। दोनों टावरों से करीब सुपरटेक को 188 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से 148 करोड़ रुपये को उसने अब तक वापस कर दिया है।