
धारा 124A यानी राजद्रोह कानून...देश में अक्सर ही विवादों में बना रहता है। कई बार राजद्रोह कानून को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ। अब इसी राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने इस कानून के इस्तेमाल पर फिलहाल रोक लगा दी। यानी अब कोई नया केस राजद्रोह के तहत दर्ज नहीं किया जाएगा। लंबे वक्त से इस कानून को खत्म करने की मांग उठाई जा रही है। अब अदालत ने इस कानून को लेकर अपने फैसले में केंद्र से इस कानून पर दोबारा विचार करने को कहा। इसके लिए कोर्ट की तरफ से सरकार को जुलाई तक का वक्त दिया गया है।
दरअसल, राजद्रोह कानून 'धारा 124 ए' को खत्म करने की मांग हमेशा से होती रही है। सभी पक्षों की सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला दिया। अरसे बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस कानून पर रोक लगाई और कहा कि अब से धारा 124 ए के तहत नई FIR दर्ज नहीं की जाएगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने 'धारा 124A' को खत्म करने पर विरोध जताया। केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि आने वाले समय में राजद्रोह कानून के तहत केस पुलिस अधीक्षक की कड़ी जांच के बाद ही दर्ज होंगे। मालूम हो कि इस वक्त करीब 800 लोग देशद्रोह कानून के अंतर्गत जेल में है, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अदालतों का दरवाज़ा खटखटाने को कहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राजद्रोह कानून को लेकर पुर्नविचार करने की इज़ाजत दी है।
गौरतलब है कि देश में कानून के लगातार दुरुपयोग बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने इसे खत्म करने का फैसला लिया। बताते चलें कि साल 2014 से 2019 के बीच कुल 326 राजद्रोह कानून के मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 6 लोगों को दोषी भी करार दिया गया। इनमें से सबसे ज्यादा कुल 56 मामले केवल असम से दर्ज किए गए है।
आपको बता दें कि सबसे पहले राजद्रोह कानून इंग्लैंड में 17वीं सदी में आया था। इसके बाद 1870 में भारतीय क्रांतिकारियों को रोकने के लिए इसे धारा 124ए से जोड़ दिया गया। इसका इस्तेमाल महात्मा गांधी, भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए किया गया। वहीं इस देशद्रोह कानून को आज़ादी के बाद भी खत्म नहीं किया गया जिसका विरोध जोरों से होने लगा।
धारा 124A किसी को राजद्रोही साबित करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। राजद्रोह में सरकार के खिलाफ गतिविधि को अपराध माना जाता है। धारा 124 ए के मुताबिक अगर कोई शख्स सरकार के खिलाफ लिखता या फिर ऐसी बातों का समर्थन करता है, तो वो राजद्रोह के तहत आरोपी माना जाता है। ऐसे में उस व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज हो सकता है। इसके अलावा देश विरोधी संगठन से संबंध रखने या फिर उसका सहयोग करने वाले के खिलाफ भी इस कानून के तहत केस किया जा सकता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति राजद्रोह कानून के तहत दोषी पाया गया, तो उसे 3 साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते है।
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