Supreme Court 2025 Verdicts: सुप्रीम कोर्ट आने वाले साल 2025 में कुछ बेहद अहम मामलों की सुनवाई करेगा, जिनका प्रभाव सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और पारिवारिक ढांचों पर दूरगामी होगा। ये मामले संवेदनशील मुद्दों से जुड़े हैं और देशभर में इन पर सुप्रीम फैसले का बेसब्री से इंतजार है। आइये हम आपको उन फैसलों के बारे में बताते हैं।
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1. उपासना स्थल अधिनियम (1991) का परीक्षण- Supreme Court 2025 Verdicts
सुप्रीम कोर्ट प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। यह अधिनियम 15 अगस्त 1947 की स्थिति के अनुसार धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने और इनके परिवर्तन के लिए कानूनी कार्यवाही पर रोक लगाता है।
सुनवाई की स्थिति:
पिछली सुनवाई में, CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने संबंधित मामलों में नए वाद दर्ज करने और लंबित केसों में आदेश देने पर रोक लगा दी थी। केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
2. मेरिटल रेप: अपराध होगा या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट आईपीसी की धारा-375 और BNS की धारा-63 में पति को रेप के मामलों में अपवाद के दायरे में रखने के प्रावधान पर विचार करेगा। मौजूदा प्रावधान के अनुसार, अगर पत्नी बालिग है तो पति का जबरन संबंध भी रेप की श्रेणी में नहीं आएगा।
प्रमुख मुद्दा:
इस अपवाद की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। कोर्ट का फैसला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक संरचना पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।
3. तीन तलाक के खिलाफ कानून को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर चुका है। इसके बावजूद इस प्रथा को रोकने के लिए बनाए गए कानून को कोर्ट में चुनौती दी गई है।
सरकार का पक्ष:
केंद्र ने कहा है कि कानून का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और तीन तलाक की घटनाओं को पूरी तरह समाप्त करना है।
4. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा।
विवादित कानून:
चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड इलेक्शन कमिश्नर (अपाइंटमेंट, कंडिशन ऑफ सर्विस एंड टर्म ऑफ ऑफिस) ऐक्ट 2023 को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह कानून चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
5. दिल्ली में सर्विसेज का मामला
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में सेवाओं से जुड़े केंद्र सरकार के कानून की संवैधानिकता पर सुनवाई करेगा। केंद्र सरकार ने कानून बनाकर दिल्ली में सेवाओं का नियंत्रण उपराज्यपाल (LG) के हाथ में दे दिया था। दिल्ली सरकार ने इसे चुनौती दी है।
संवैधानिक बेंच:
यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया गया है।
6. मनी लॉन्ड्रिंग कानून का परीक्षण
सुप्रीम कोर्ट प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई करेगा। 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
मुख्य मुद्दे:
आरोपी को गिरफ्तारी के वक्त ECIR देने की अनिवार्यता। निर्दोष साबित करने का बोझ आरोपी पर डाले जाने का प्रावधान।
2025 में सुप्रीम कोर्ट के ये मामले देश की कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक संरचना को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित होंगे। कोर्ट के फैसले समाज के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालेंगे और देश की न्यायिक प्रक्रिया में नई मिसाल कायम करेंगे।
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