हाल ही में, MBBS सीट पाने के लिए कुछ छात्रों द्वारा धर्म परिवर्तन और फर्जी डोमिसाइल का इस्तेमाल करने की खबरें सामने आई हैं। यह मामले तब सामने आए जब कुछ छात्रों ने मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण नीति का अनुचित फायदा उठाने के लिए इस तरह की धोखाधड़ी का सहारा लिया। इन छात्रों ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आरक्षित सीटों पर प्रवेश पाने के उद्देश्य से अपना धर्म बदलवाया और कुछ ने फर्जी डोमिसाइल सर्टिफिकेट्स का उपयोग किया।
कैसे हुआ खुलासा?
सरकार और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किए गए जांच के बाद यह पता चला कि कुछ छात्रों ने अपने धर्म को बदलवाकर आरक्षित सीटों पर दाखिला प्राप्त करने की कोशिश की थी। इस मामले में कुछ छात्रों को अपनी सीटें छोड़नी पड़ीं क्योंकि उनके खिलाफ फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सीट हासिल करने के आरोप साबित हुए।
नियमों का उल्लंघन
भारत में मेडिकल सीटों के लिए आरक्षण नीति स्पष्ट है और इसका उद्देश्य वंचित और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को मदद प्रदान करना है। लेकिन जब छात्र इस तरह की धोखाधड़ी करते हैं, तो वे वास्तव में उन छात्रों का अधिकार छीनते हैं, जो वास्तविक रूप से इन आरक्षित सीटों के हकदार होते हैं। इस प्रकार की गतिविधियां न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में अनैतिक हैं, बल्कि कानूनन अपराध भी हैं, जिसके चलते सख्त कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
फर्जी डोमिसाइल के चलते रद्द हुई थी छात्रों की सीट
एमबीबीएस की सीटें पाने के लिए छात्र फर्जी निवास और ‘धर्म परिवर्तन’ का सहारा ले रहे हैं। इससे पहले भी तमिलनाडु और केरल के कई छात्रों ने पुडुचेरी में एमबीबीएस की सीटें पाने के लिए फर्जी निवास का इस्तेमाल किया था। पकड़े जाने पर छात्रों की सीटें रद्द कर दी गई थीं।
MBBS सीट पाने के लिए बनाया फर्जी धर्म प्रमाण पत्र
वहीं, उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित सुभारती विश्वविद्यालय में अल्पसंख्यक कोटे से एमबीबीएस की सीट पाने के लिए 17 छात्रों ने दूसरे धर्म के फर्जी प्रमाण पत्र जमा किए थे। जांच के बाद एमबीबीएस में दाखिला पाने वाले 8 छात्रों का दाखिला रद्द कर दिया गया है, जबकि 9 छात्र अपनी सीट छोड़कर भाग गए। मेडिकल कॉलेज बौद्ध अल्पसंख्यक संस्थान के अंतर्गत आता है। पहले चरण की काउंसलिंग में 22 सीटें अल्पसंख्यक कोटे की थीं। 17 छात्रों ने बौद्ध धर्म के फर्जी प्रमाण पत्र जमा कर एमबीबीएस की सीट हासिल की थी। शिकायत मिलने पर चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने फर्जी प्रमाण पत्रों की शिकायत पर जांच के आदेश दिए, जिसके बाद इस बात का खुलासा हुआ। इस घटना के बाद यूपी के सभी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों के प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई।
सरकार का कदम
सरकार और शिक्षा संस्थानों ने ऐसे मामलों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। कई मामलों में छात्रों के दाखिले रद्द किए गए हैं और उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ रहा है। साथ ही, ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए डोमिसाइल और धर्म परिवर्तन के मामलों की जांच और सख्त कर दी गई है।
यह घटना शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डालती है। ऐसे कृत्य न केवल कानूनी उल्लंघन हैं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में न्याय और समानता के मूल्यों को भी ठेस पहुंचाते हैं।