जानिए कौन थे JDU के चाणक्य शरद यादव
समाजवाद के सबसे जुझारू नेताओं में मशहूर शरद यादव का बृहस्पतिवार को गुरुग्राम (Gurgaon) के फोर्टिस अस्पताल (Fortis hospital) में देर शाम निधन हो गया। शरद यादव JDU के पूर्व अध्यक्ष होने के साथ-साथ लगातार 7 बार लोकसभा के सांसद भी रह चुके थे। भारत की राजनीति में शरद यादव को लेकर कई सारे किस्से हैं लेकिन इन सब किस्सों में 1990 मंडल रिपोर्ट का किस्सा काफी मशहूर है जब उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री (Prime Minister) वी.पी.सिंह ने मंडल रिपोर्ट लागू की थी और उसके पीछे भी शरद यादव का हाथ था.
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जानिए कैसा रहा राजनीतिक जीवन
जनता दल (JDU) के पुरोहित शरद यादव का गुरुवार को 75 साल की उम्र में निधन हो गया और इसी के साथ एक बुलंद आवाज़ भी खामोश हो गई जो जनता दल की विचारधारा ही नहीं बल्कि समाज को भी एक सही दिशा देने वाले शख्सियत थी। आज समाजवाद की आवाज शांत इसलिए हो गई क्योंकि देश भर की सारी पार्टियां एक अच्छे उद्देश्य के साथ आती हैं लेकिन ये बात शायद सत्ता में आने के बाद भूल जाती हैं उदाहरण के लिए आप JDU को ही ले लें और दिल्ली की मौजूदा सरकार को भी। अपने 50 साल के इस राजनीतिक इतिहास में उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे लेकिन शरद उनमे से नहीं थे जो समाजवाद को परिकाष्ठा को ठुकरा दें। उनके इस राजनीतिक कद और योगदान का ओहदा भले ही आज की पीढ़ी को शायद अंदाजा न हो लेकिन हर गैर-कॉंग्रेसी सरकार के लोग उनका लोहा मानते थे। शरद जी की इंदिरा गाँधी (Indira Gandhi) से हमेशा राजनीतिक मनमुटाव रहते थे। 1990 में मंडल आयोग की मांग को लागू करने के लिए विश्वनाथ प्रताप सिंह (V P Singh) पर दबाव बनाने वाले सबसे प्रमुख नेता शरद यादव थे।
क्या था मंडल रिपोर्ट का किस्सा
1990 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह (V P Singh) ने मंडल लागू किया था पर इसे लागू करना इतना आसान नहीं था. जितना शरद यादव ने इसे बना दिया था कहते हैं कि मौके की नजाकत और मंडल कमीशन (Mandal Commission) की मांग को देखते हुए शरद ने प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिये वीपी सिंह पर दबाव बनाया और सबके सामने शरद ने उनकी गर्दन तक पकड़ ली थी जिसके बाद वी पी सिंह को मजबूरन कमीशन को लागू करना पड़ा था।
क्या है मंडल आयोग और क्यों इसे लागू किया गया ?
मंडल आयोग की स्थापना जनवरी 1979 में मोरारजी देसाई (Moraji Desai) सरकार द्वारा जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए सीट आरक्षण (Reservation) और लोगों के लिए कोटा के सवाल पर विचार करने के लिए सामाजिक या शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए की गई थी और पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए ग्यारह सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक संकेतकों का उपयोग किया गया था। जिसे बाद पार्टियां आती गई लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता था फिर 1990 में JDU नेता शरद यादव ने मंडल कमीशन के सिफारिशों की मांग उठाई और जिसके बाद प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने इसे लागू किया।
कहलाते थे JDU के चाणक्य
जुलाई 1947 में एमपी (MP) के होशंगाबाद में जन्मे शरद ने जबलपुर से इंजीनियरिंग (Engineering) की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सियासत की दुनिया में कदम रखा, शुरुआत के समय में शरद लोहिया और जेपी के समाजवादी विचारधारा से बहुत प्रभावित थे। शरद जेपी के एकमात्र ऐसे शिष्य थे जो 1974 पहली बार लोकसभा सांसद बन गए जिसके बाद उन्होंने JDU का जमकर प्रचार-प्रसार किया और JDU को एक अलग पहचान दिलाई। जिसके बाद लोग इन्हें JDU का चाणक्य कहने लगे।