इंतेजार खत्म हुआ…देश को कोरोना महामारी के खिलाफ तीसरा हथियार भी मिल गया है। कोरोना की तीसरी वैक्सीन स्पूतनिक V तो देश में पहले ही आ गई थीं और अब इसे लगाने का काम भी शुरू हो गया है। आज इस वैक्सीन की पहली डोज डॉ. रेड्डी लैब के कस्टम फार्मा सर्विस के ग्लोबल हेड दीपक सप्रा को लगाई गई।
अगले हफ्ते से ये वैक्सीन मिलने लगेगी। वैक्सीन की कीमत क्या होगी, इसका भी ऐलान कर दिया गया है। इस वैक्सीन की पहली खेप एक मई को आई थीं और दूसरी खेप भी जल्द ही आने वाली है। इससे जो देश में वैक्सीन की कमी चल रही है, वो कुछ कम हो जाएगी। देश में अब कोविशील्ड, कोवैक्सीन के साथ ये तीसरी वैक्सीन स्पूतनिक-V भी लगने लगेगी। आइए हम आपको इस वैक्सीन से जुड़ी उन सभी बातों के बारे में बता देते हैं, जो आपके लिए जानना जरूरी है…
कितनी सुरक्षित है ये वैक्सीन?
स्पूतनिक वी दुनिया की सबसे पहले तैयार होने वाली वैक्सीन है। इसे रूस के द्वारा बनाया गया है। वैक्सीन की एफेकसी 91.6 फीसदी है। कोरोना से लड़ने में ये वैक्सीन कारगर है। वहीं कोरोना के खिलाफ कोवैक्सीन 81 फीसदी और कोविशील्ड 62 प्रतिशत कारगर होती है। हालांकि बाद में डोज के मुताबिक इन वैक्सीन की भी एफेकसी बढ़ जाती है।
क्या कोई साइड इफेक्ट भी है?
हर वैक्सीन के कुछ ना कुछ साइड इफेक्ट होते है। बात अगर स्पूतनिक वी की करें तो इसके भी कुछ साइड इफेक्ट है। फरवरी 2021 में प्रकाशित लैंसेट के अध्ययन के मुताबिक इस वैक्सीन के लगने के बाद सिरदर्द, थकान, इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द या फ्लू जैसे साइड इफेक्ट दिखने को मिल सकते है, जो ठीक हो जाते हैं। वैक्सीन के कई गंभीर साइड इफेक्ट सामने नहीं आए।
वैक्सीन की कितनी डोज लगेगी?
बाकी कोरोना वैक्सीन की तरह इसकी भी दो डोज ही लगाई जाएगी। इसकी दूसरी डोज 21 दिनों के गैप पर लगाई जाती है। वैसे आपको जानकारी के लिए ये भी बता दें कि कंपनी ने एक स्पूतनिक Light वैक्सीन भी तैयार की है, जो सिंगल डोज है, जिसे रूस में मंजूरी मिल गई है।
वैक्सीन की कीमत क्या होगी?
ये वैक्सीन अभी करीब एक हजार रुपये में देश में मिलेगी। ये भारत में फिलहाल 955.40 रुपये में मिलेगी। जिसमें एक डोज 948 रुपये और 5 प्रतिशत GST शामिल होगा। हालांकि आगे आने वाले वक्त में इस वैक्सीन की कीमत घट भी सकती है। दरअसल, इस वैक्सीन का देश में उत्पादन शुरू होने पर वैक्सीन की कीमत कम होने की संभावनाएं है।
रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन करने के लिए डॉ. रेड्डीज के साथ ही हेटेरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, पनाका बायोटेक, स्टेलिस बायोफार्मा जैसी कई भारतीय कंपनियों से करार किया है। ये सभी कंपनियां मिलकर 85 करोड़ से अधिक डोज बनाएगी। देश में इस वैक्सीन का उत्पादन होने पर कीमत कम होने के आसार है।
दुनिया की पहली वैक्सीन है ये
गौरतलब है कि जब बीते साल कोरोना महामारी ने दुनियाभर में तबाही मचाना शुरू किया था, तबसे ही सभी देशों के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के काम में जुट गए थे। लेकिन इसमें सबसे पहले सफलता रूस को ही हाथ लगी। बीते साल अगस्त में ही इस वैक्सीन को रूस में मंजूरी मिल गई। शुरूआत में इस वैक्सीन पर कई सवाल उठे, लेकिन बाद में ये असरदार साबित हुई। अब दुनियाभर में करीब 60 देशों में इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
दूर होगी वैक्सीन की कमी की समस्या?
देश में जहां कोरोना की दूसरी लहर तबाही मचा रही है, ऐसे में वैक्सीनेशन की कमी होना भी एक बड़ी समस्या बना हुआ है। अभी देश में केवल दो ही वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। कई राज्य लगातार वैक्सीन की कमी की शिकायतें करते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें जरूरत के मुताबिक डोज नहीं मिल पा रही। इसी बीच अब स्पूतनिक-वी के आने से और कोरोना के खिलाफ जंग में तीसरा हथियार मिलने से वैक्सीनेशन अभियान को धार मिल सकती है।