लद्दाख के जाने–माने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने की मांग को लेकर अपना अनशन जारी रखा है। वांगचुक ने 6 मार्च को लेह के नवांग दोरजे मेमोरियल पार्क में अपना अनशन शुरू किया था। उन्हें अनशन पर बैठे हुए 13 दिन बीत चुके हैं। खराब मौसम और शून्य से नीचे तापमान के बावजूद लोग उनका समर्थन करने के लिए विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं। सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल में उनके साथ 1500 अन्य लोग भी शामिल हुए।
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सोनम वांगचुक की मांगें
सोशल मीडिया पर हो रही गलतफहमी को दूर करने की कोशिश में सोनम वांगचुक ने एक वीडियो जारी किया है। उनके अनुसार, छठी अनुसूची स्वदेशी संस्कृतियों और जनजातियों को बाहरी लोगों से बचाने और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों और संस्कृतियों को स्थानीय लोगों से बचाने के दोहरे उद्देश्य को पूरा करती है।उन्होंने वादा किया कि अगर इसे अमल में लाया गया तो उन्हें स्थानीय लोगों से भी सुरक्षा मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि ‘जहां तक उद्योग की बात है तो जो क्षेत्र संवेदनशील नहीं हैं, उन्हें आर्थिक क्षेत्र बनाया जा सकता है, ताकि उद्योग लग सकें और देश–दुनिया से निवेश आ सके। इसमें लद्दाख के लोगों को कोई दिक्कत नहीं है।’
क्या है छठी अनुसूची ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची एक राज्य के भीतर विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वतंत्रता के साथ स्वतंत्र प्रशासनिक इकाइयों के रूप में स्वायत्त जिला परिषदों की स्थापना करती है। दरअसल, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गया, और जम्मू और कश्मीर में विधान सभा के विपरीत, कोई स्थानीय परिषद नहीं है। छठी अनुसूची में शामिल होने के बाद, लद्दाख निवासी स्थानीय स्तर पर काम करने वाले सदस्यों के साथ स्वतंत्र जिला और क्षेत्रीय परिषदों का आयोजन करने में सक्षम होंगे। इसके अलावा, वे दो लोकसभा सीटें और राष्ट्रीय स्तर पर राज्यसभा में प्रतिनिधित्व चाहते हैं। असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम पहले से ही छठी अनुसूची में सूचीबद्ध हैं, जो आदिवासी समूह को विशिष्ट सुरक्षा प्रदान करता है।
लद्दाख में लागू हुआ अनुच्छेद 371
केंद्र सरकार ने धारा 371 के तहत लद्दाख को विशेष दर्जा देने की पेशकेश की है। धारा 371 देश के विभिन्न उत्तर–पूर्वी राज्यों में भी लागू होती है। पर्यावरण, जनजातीय या सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए इसे पूरे राज्य के बजाय स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर लागू किया जाता है।
वादों के नाम पर वोट बटोर रही है सरकार
बीजेपी ने लद्दाख के लोगों से छठी अनुसूची का वादा करके 2019 का लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद इसी वादे के दम पर बीजेपी अक्टूबर 2020 में लेह जिला परिषद चुनाव में बहुमत हासिल करने में सफल रही। हालांकि, बीजेपी ने अभी तक अपना वादा पूरा नहीं किया है, जिसके कारण अब लद्दाख की जनता केंद्र सरकार से नाराज है!