उत्तर प्रदेश की राजनीति इस वक्त अपने चरम पर है। वजह है लखीमपुर में हुआ कांड। यूपी में किसानों के साथ लखीमपुर में जो घटना घटी, उसको लेकर राज्य की सियासत गर्माई हुई है। भले ही इस मामले को लेकर किसानों और सरकार के बीच समझौता हो गया हो, लेकिन विपक्ष अभी भी इस मामले को लेकर योगी सरकार को घेर रहा है।
वहीं इस पूरे कांड के दौरान विपक्ष का जो चेहरा सबसे ज्यादा सुर्खियों में छाया हुआ है, वो और कोई नहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हैं। प्रियंका लखीमपुर कांड को लेकर सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
लखीमपुर को लेकर प्रियंका ने खोला मोर्चा
जैसे ही लखीमपुर में हुई इस घटना की जानकारी सामने आई थीं, वैसे ही प्रियंका वहां जाने के लिए रवाना हो गई थीं। हालांकि यूपी पुलिस ने उन्हें वहां पहुंचने नहीं दिया। उनको सीतापुर के हरगांव बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया गया। वहीं इससे पहले लखनऊ में जब घर के बाहर रोकने की भी कोशिश हुई थी, तो उन्होंने आक्रामक तेवर दिखाए थे। गाड़ी से जाने से रोकने पर वो पैदल ही चल पड़ी। इस दौरान उनकी यूपी पुलिस से कई बार नोंक-झोंक भी हुई। वहीं वो बीते कई घंटों से सीतापुर के गेस्ट हाउस में हिरासत में हैं। हिरासत के दौरान भी वो कभी सफाई करती नजर आ रही हैं, तो कभी सरकार से सीधा सवाल पूछती दिख रही हैं।
वैसे ऐसा पहली बार बिल्कुल नहीं है, जब प्रियंका गांधी ने योगी सरकार के खिलाफ यूं मोर्चा खोला हो। वो ऐसा पहले भी कई बार करती हुई दिखाई दी हैं। हाथरस कांड से लेकर सोनभद्र मामले तक प्रियंका, योगी सरकार को चुनौती देने में कहीं भी पीछे नहीं रहीं। आज ऐसे ही कुछ मामलों के बारे में बात कर लेते हैं, जब प्रियंका राज्य सरकार को सीधी टक्कर देती नजर आईं।
जब गैंगरेप पीड़िता के परिवार से मिलने जा रही थीं प्रियंका
पिछले साल ही हाथरस में एक गैंगरेप की बड़ी घटना हुई थीं। इस घटना को लेकर भी प्रियंका गांधी ने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। वो राहुल गांधी के साथ गैंगरेप पीड़िता के परिवारवालों से मिलने पहुंच गई थीं। जब उनके काफिले को पुलिस ने बीच में ही रोक दिया, तो काफी हंगामा हुआ। मामला काफी ज्यादा बिगड़ गया था। जिसके बाद प्रशासन को झुका और पुलिस अधिकारियों ने प्रियंका और राहुल को अपने साथ ले जाकर पीड़िता के परिवार से मुलाकात कराई।
सोनभद्र घटना के दौरान भी हुआ था बवाल
इसके अलावा सोनभद्र के घोरावल के उम्भा गांव में जमीन विवाद को लेकर कब्जाने को लेकर नरसंहार हुआ था। इस दौरान 10 लोगों ने अपनी जान गंवाई, तो 28 लोग घायल भी हुए। इस घटना के बाद प्रियंका गांधी सोनभ्रद गई थीं। हालांकि इसके लिए 26 घंटों तक काफी जद्दोजहद भी चलती रही। पुलिस ने प्रियंका को सोनभद्र जाने से रोका, तो वो अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गई थीं। उनको हिरासत में लेकर गेस्टहाउस लेकर जाया गया। काफी समझाने के बाद जब वो नहीं मानी तो गेस्टहाउस में पीड़ितों से प्रियंका की मुलाकात कराई गई। इससे योगी सरकार भी बैकफुट पर आई थीं।
स्कूटी पर सवार होकर पहुंची थीं प्रियंका
एक घटना दारापुरी में भी हुई थीं। जब वो CAA के खिलाफ प्रदर्शन मामले में गिरफ्तार हुए पूर्व IPS एसआर दारापुरी से मिलने जा रही थी। उस दौरान भी उनका आमना सामना पुलिस से हुआ था। तब प्रियंका ने आरोप लगाए थे कि पुलिस ने उनको जगह रोका और साथ ही उनका गला पकड़ा और धक्का दिया। जिसके बाद वो कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर के साथ स्कूटी पर सवार होकर चली गई। फिर वो दारापुरी के घर पहुंची और उनके परिजनों से मिली भी।
मेरठ नहीं जा पाए थे राहुल-प्रियंका
मेरठ में भी ऐसी ही घटना हुई। जब CAA के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करने के लिए प्रियंका जा रही थीं। राहुल गांधी भी तब उनके साथ थे। पुलिस ने उनको तब मेरठ के बाहर ही परतापुर थाने के पास रोक दिया था। इस दौरान भी खूब हंगामा हुआ था। हालांकि इस बार राहुल प्रियंका को बैरंग ही वापस लौटना पड़ा। वो तब मुलाकात नहीं कर पाए थे।
बसों को लेकर हुआ विवाद
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान भी सीएम योगी और प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच सियासी जंग छिड़ी थी। तब बसों को लेकर काफी विवाद हुआ था। तब कई शहरों से प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आ रहे थे। तो प्रियंका ने मजदूरों के लिए बस भेजने की अनुमति सरकार से मांगी थीं। बस को लेकर योगी सरकार और प्रियंका गांधी में लेटर वॉर शुरू हो गया था। तब प्रियंका ने राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर बसों को लाकर खड़ा कर दिया। वहीं योगी सरकार ने बसों को इजाजत देने के लिए ड्राइवर के नाम के साथ बसों की लिस्ट मांगी। साथ ही बसों के कागजों और गाड़ियों में कुछ कमियां निकालने हुए योगी सरकार ने इजाजत नहीं दी। इसको लेकर विवाद इतना बढ़ गया था कि यूपी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।