पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में लगी हुई है। प्रदेश की सत्तारुढ़ टीएमसी पश्चिम बंगाल में तीसरी बार अपनी सरकार बनाने की कोशिशों में लगी है। वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी को टक्कर देने की कोशिशों में लगी है।
ममता बनर्जी ने इस बार अपनी पारंपरिक भवानीपुर विधानसभा सीट को छोड़कर नंदीग्राम से अपने सहयोगी रह चुके सुवेंदु अधिकारी को टक्कर देने के लिए चुनावी मैदान में है। ममता बनर्जी ने 10 मार्च को इस सीट से नामांकन दाखिल किया था और आज सुवेंदु अधिकारी ने भी ममता बनर्जी के खिलाफ अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।
नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने एक जनसभा की। जिसमें सुवेंदु अधिकारी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने ममता बनर्जी पर जमकर हमला बोला।
‘…बीजेपी के लोगों का मर्डर कराया’
जनसभा को संबोधित करते हुए स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने ममता बनर्जी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ‘मैं दीदी से पूछना चाहती हूं कि बंगाल की किस बेटी को वोट देना है। उन्हें…जिन्होंने एक 80 साल की औरत के साथ मारपीट की या जिन्होंने बीजेपी के लोगों का मर्डर कराया। जिन्होंने दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा पर मूर्ति विसर्जन नहीं होने दिया या वो जो नंदीग्राम आकर चंडी पाठ करती हैं और कहती हैं कि खेला होबे…।‘
‘टीएमसी एक प्राइवेट कंपनी…’
जिसके बाद बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी ममता बनर्जी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल में रोजगार की कमी है। अगर हमें इस स्थिति में बदलाव लाना है तो हमें टीएमसी को यहां से हटाना होगा।
सुवेंदु अधिकारी ने टीएमसी को एक प्राइवेट कंपनी बताया। उन्होंने कहा, टीएमसी एक प्राइवेट कंपनी बन गई है, जहां सिर्फ दीदी और उनका भतीजा बोल सकता है। उन्होंने कहा, नंदीग्राम के लोगों से मुझे बरसों से जानते हैं और इनसे मेरा बहुत पुराना रिश्ता है। ममता बनर्जी को बस 5 साल में ही इन लोगों की याद आती है।
1989 के बाद से कभी नहीं हारी हैं ममता बनर्जी
बता दें, नंदीग्राम विधानसभा सीट पर टीएमसी 2009 से ही जीतती आ रही है। सुवेंदु अधिकारी को टीएमसी के टिकट पर ही पश्चिम बंगाल चुनाव 2016 में जीत हासिल हुई थी। लेकिन इस बार उन्होंने पाला बदल लिया है और बीजेपी की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। तो वहीं, दूसरी ओर चुनावी दंगल में ममता बनर्जी खड़ी है। ऐसे में इस सीट पर टीएमसी एक बार फिर से अपना वर्चस्व बरकरार रखने की कोशिशों में हैं। अगर ममता बनर्जी के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्हें साल 1989 के बाद से किसी भी चुनाव में हार नहीं मिली है।