यूपी में विधानसभा चुनाव में अब बिल्कुल कम वक्त रह चुका है और सियासी खिचड़ी हर कोई पकाना चाहता है। राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं। सितंबर महीने के आखिर में AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ये सभी प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के घर पर पहुंचे थे। चर्चा इस बात पर बढ़ गई है कि छोटे दलों का गठबंधन तो नहीं बन रहा? इस मीटिंग में बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी बात करने को लेकर चर्चा की गई।
सवाल ये है कि इन कवायदों की जरूरत क्यों पड़ी? और इस तरह की कोशिशों का क्या और कितना फायदा होगा इन छोटी छोटी पार्टियों को?
आप देखेंगे कि प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने के लिए हर तरह की कोशिश कर रहे हैं पर बात नहीं बन पा रही है। और इन कोशिशों के दौरान ही भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे ओमप्रकाश राजभर छोटी पार्टियों से बात करने और जुड़ने में लगे हैं। शिवपाल के घर जो मीटिंग हुई उसमें ओवैसी, राजभर और चंद्रशेखर पहुंचे और एक घंटे की ये मीटिंग रही। इस दौरान गठबंधन पर मंथन हुआ। सीटें किसे कितनी दी जाएं इस पर बात की गई।
जानकारी है कि पार्टी के बेस पर सीटें बांटी जाएंगी। खासकर प्रभाव वाले क्षेत्रों में उसी पार्टी के लिए सीटें छोड़े जाने पर भी चर्चा की गई। 2 अक्तूबर को फिरोजाबाद से शिवपाल पैदल यात्रा करने और सामाजिक परिवर्तन यात्रा 12 अक्तूबर को निकालने की तैयारी में हैं। देखने वाली बात है कि कोशिश कितनी रंग लाती है? और यूपी में जो ये ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ चल रहा है वो कितना फलता-फूलता है? और इन छोटी पार्टियों को कितनी कामयाबी दिलवाता है?