Sentinel Island: सेंटिनल आइलैंड, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हिस्सा है, एक बार फिर से चर्चा में है। हाल ही में, अमेरिकी नागरिक मिखाइलो विक्टरोबिच को इस दुर्लभ जनजाति के लिए रिजर्व इस द्वीप पर प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। सेंटिनल आइलैंड पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति का इतिहास हजारों साल पुराना है, और यह जनजाति बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटकर रहती है। 1950 के दशक से ही इस द्वीप पर बाहरी व्यक्तियों के आने पर प्रतिबंध लगाया गया है, और यदि कोई इसके बावजूद यहां आता है, तो सेंटिनलीज जनजाति के लोग उसे तीर-कमान से हमला करके मार डालते हैं।
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सेंटिनलीज जनजाति का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व- Sentinel Island
सेंटिनलीज जनजाति के लोग सेंटिनल द्वीप पर करीब 50,000 सालों से रहते आ रहे हैं। इस जनजाति ने कभी भी बाहरी दुनिया को नहीं देखा है और वे अपने जीवन को पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से जीते हैं। यह द्वीप महज 60 स्क्वायर किलोमीटर का है, लेकिन इसके भीतर रहने वाले लोग अपने पारंपरिक तरीके से जीवनयापन करते हैं। यहां के लोग शिकार करके अपना पेट भरते हैं और बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग रहते हैं।
भारत का सख्त कानून और सुरक्षा प्रबंध
भारत सरकार ने 1956 में सेंटिनल द्वीप को ट्राइबल रिजर्व घोषित किया और यहां के आसपास के 5 किलोमीटर के क्षेत्र में प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। यह कदम इस जनजाति की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया, ताकि वे बाहरी दुनिया से संक्रमित होने वाली किसी भी बीमारी से बच सकें। इस द्वीप पर ना तो कोई अस्पताल है और ना ही कोई आधुनिक सुविधाएं। इसके अलावा, 2017 में और सख्त कानून बनाए गए, जिसके तहत द्वीप पर रहने वाली जनजातियों की तस्वीरें या वीडियोज बनाने पर भी सजा का प्रावधान है।
सेंटिनल आइलैंड पर बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश का इतिहास
सेंटिनल आइलैंड पर बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश कई बार विवादों का कारण बन चुका है। साल 2004 में हिंद महासागर में आई भयंकर सुनामी के बाद जब भारत ने सेंटिनलीज जनजाति के बारे में जानकारी जुटाने के लिए भारतीय नौसेना का हेलीकॉप्टर भेजा, तो जनजाति ने हेलीकॉप्टर पर भी तीर-कमान से हमला कर दिया। यह घटना बताती है कि सेंटिनलीज जनजाति अपनी सुरक्षा के लिए बाहरी दुनिया से किसी भी तरह की घुसपैठ को स्वीकार नहीं करती है।
इसके अलावा, अतीत में भी सेंटिनलीज जनजाति ने बाहरी लोगों की हत्या की है। जनवरी 2006 में, दो भारतीय मछुआरों को जनजाति ने मार दिया था, जब वे अवैध रूप से द्वीप के पास मछली पकड़ने आए थे। फिर, 2018 में एक और घटना घटी, जब अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ को जनजाति ने मौत के घाट उतार दिया। चाऊ ने सेंटिनलीज जनजाति से संपर्क करने के लिए मछुआरों को पैसे दिए थे, और फिर द्वीप पर जाने की कोशिश की थी, जो उसे महंगी पड़ी।
सेंटिनल आइलैंड और सेंटिनलीज जनजाति की सुरक्षा
सेंटिनल आइलैंड और उस पर रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति के मामले में भारत सरकार की नीति स्पष्ट है। यह जनजाति अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बनाए रखना चाहती है और बाहरी दुनिया से कोई भी दखल उसे स्वीकार नहीं है। सेंटिनल आइलैंड पर यात्रा करने की कोशिश करने वालों को कठोर दंड का सामना करना पड़ सकता है। भारत की सरकार ने इस द्वीप पर कड़े नियम लागू किए हैं, ताकि इस अनछुए और असुरक्षित जनजाति को किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से बचाया जा सके।