हिंडनबर्ग (Hindenburg) के आरोपों के बाद बाजार नियामक सेबी (SEBI) प्रमुख माधवी पुरी बुच पर एक के बाद एक गंभीर आरोप लग रहे हैं। हाल ही में सेबी के अधिकारियों ने उन पर कामकाजी माहौल से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बुच पर ‘टॉक्सिक वर्क कल्चर’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। इसे लेकर इन अधिकारियों ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय से विस्तृत शिकायत भी की है। इसके अलावा बुच पर सेबी प्रमुख रहते हुए आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक से वेतन लेने का भी आरोप लगाया गया है। वहीं, सेबी प्रमुख ने अब तक के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है और सफाई पेश की है। दूसरी तरफ कांग्रेस माधवी पुरी से लगातार सेबी चीफ के पद से इस्तीफा देने की मांग कर रही है।
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कर्मचारियों के लिए टॉक्सिक माहौल
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 6 अगस्त को सेबी के 500 कर्मचारियों की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया था कि सेबी प्रमुख की बैठकों में ‘चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना’ आम बात हो गई है। उनका आरोप है कि पिछले दो-तीन सालों से सेबी में टॉक्सिक माहौल बना हुआ है। कार्य संस्कृति खराब हो गई है। कर्मचारियों ने यह पत्र 5 पन्नों में वित्त मंत्रालय को दिया था।
‘ए कॉल फॉर रेस्पेक्ट’ नाम से लिखे इस पत्र में सेबी अधिकारियों ने कहा है कि बुच का टीम के सदस्यों के प्रति रवैया ‘कठोर’ है और वह उनके साथ ‘गैर-पेशेवर’ भाषा का इस्तेमाल करते हैं। उनकी ‘मिनट-दर-मिनट गतिविधियों’ पर नज़र रखी जाती है। इसके अलावा उन्होंने ऐसे टारगेट तय कर रखे हैं जिन्हें हासिल करना कर्मचारियों के लिए संभव नहीं है। इतना ही नहीं, टारगेट हर दिन बदलते रहते हैं, जिसका कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
वहीं, बुधवार को सेबी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें कर्मचारियों को ‘बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह’ करने की बात कही गई, जिसके चलते कर्मचारियों ने मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया और माधवी पुरी बुच से इस्तीफे की मांग की। इन सभी आरोपों के बाद सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच चारों तरफ से घिरती नजर आ रही हैं।
सेबी चीफ रहते हुए ICICI बैंक से सैलरी लेने का आरोप
वहीं, कांग्रेस की तरफ से यह दावा किया गया है कि 2017 से 2024 के बीच बुच को आईसीआईसीआई बैंक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और ईएसओपी से कुल 16.80 करोड़ रुपये का भुगतान मिला था। कांग्रेस ने दावा किया कि सेबी प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बुच को उतना वेतन नहीं मिला जितना उन्हें निजी बैंक से मिला था। हालांकि, बैंक ने इन दावों का खंडन किया और कहा कि उन्हें सेवानिवृत्ति पर वेतन के बजाय सेवानिवृत्ति लाभ मिला था।
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