तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद किसानों ने भले ही अपना आंदोलन खत्म कर दिया हो, लेकिन इस पर विवाद अब तक थमा नहीं। अब किसान एक बार फिर से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार हैं। दरअसल, शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक मीटिंग की। बैठक के बाद किसानों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
साथ ही SKM की तरफ से ये ऐलान किया कि 31 जनवरी को देशभर के किसान वादाखिलाफी दिवस के रूप में मनाएंगे, जिस दौरान सरकार के पुतले जगह-जगह पर जलाए जाएंगे।
बैठक के बाद किसान नेता युद्धबीर सिंह ने कहा कि सरकार ने जो वादे किए, उन पर समीक्षा की गई। सरकार ने अब तक कोई भी कमेटी नहीं बनाई। कोई संपर्क नहीं किया गया है। मुकदमें वापसी की भी कार्रवाई नहीं हुई। हरियाणा को छोड़कर कहीं भी मुकदमें वापसी नहीं किए गए। समझौते के हिसाब से सरकार ने अब तक काम नहीं किए।
इस वजह से अब संयुक्त किसान मोर्चा ने 31 जनवरी को पूरे देश में वायदा खिलाफी दिवस के रूप में सरकार का विरोध करेंगे। एक फरवरी तक भी सरकार नहीं मानी तो मिशन यूपी-उत्तराखंड़ शुरू किया जाएगा।
इसके अलावा ये भी कहा कि लखीमपुर केस में सरकार ने मंत्री को बर्खास्त नहीं कर दिखाया कि वोट बैंक के चक्कर में उसे बचा रही है। किसान मोर्चा ने फैसला लिया कि 21 जनवरी से किसान साथी लखीमपुर खीरी जाएंगे और सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बनाएंगे।
चुनाव लड़ने वाले संगठनों पर कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा राजनीति से दूर है। हमारे साथियों का निणर्य जल्दबाजी का है। वो संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के साथ नहीं रहेंगे। चार माह बाद हम इन संगठनों की समीक्षा करेंगे तब तक वो हमारा हिस्सा नहीं रहेंगे।
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन एक साल से भी ज्यादा चला था। इसको लेकर सरकार और किसानों में बात नहीं बन पा रही थीं, जिसके बाद केंद्र सरकार को ही पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा। कानून वापसी के बाद किसानों ने कुछ अन्य मांगों पर सरकार से समझौता किया और आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया था। हालांकि अब किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगें अब तक पूरी नहीं की है।