केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है। इस कड़ाके की ठंड में किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर पिछले 68 दिन से आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से इन कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियां भी इस मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है। विपक्षी पार्टियों ने किसान आंदोलन को अब खुला समर्थन दे दिया है। पिछले दिनों विपक्ष के विपक्ष के कई नेताओं ने किसान नेताओं से फोन पर बातचीत की और पूर्ण समर्थन की बात भी कही।
बीजेपी की पूर्व सहयोगी पार्टी शिवसेना भी काफी पहले से ही किसान आंदोलन का समर्थन कर रही है और केंद्र सरकार को निशाने पर ले रही है। इसी बीच शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) और अरविंद सावंत (Arvind Sawant) ने आज गाजीपुर बॉर्डर का दौरा किया और किसान नेताओं से मुलाकात की। शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया है कि वे पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़े रहेंगे।
पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़ी है शिवसेना
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की। मुलाकात के बाद संजय राउत ने कहा कि ‘शिवसेना के सभी सांसद यहां आए हैं। राकेश टिकैत से बात हो गई है और उन्हें जो संदेश देना था हमने दे दिया है। हम पूरी ताकत के साथ उनके साथ रहेंगे।‘ उन्होंने कहा, सरकार को ठीक से बात करनी चाहिए, बात में राजनीति नहीं आनी चाहिए।
वहीं, दूसरी ओर राकेश टिकैत ने कहा, अगर विपक्ष हमारा समर्थन करने के लिए आ रहा है तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर नेता आते हैं तो हम कुछ नहीं कर सकते। टिकैत ने स्पष्ट किया कि किसान आंदोलन के चलते ट्रैफिक नहीं रुका है, बल्कि पुलिस बैरिकेडिंग के कारण ये हुआ है।
साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन के भविष्य को लेकर भी बात कही। किसान नेता ने कहा हमने सरकार को बता दिया कि ये आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। अक्टूबर के बाद आगे की तारीख देंगे, बातचीत भी चलती रहेगी।
आंदोलन स्थल वाले इलाकों में इंटरनेट सेवा पर रोक
बता दें, गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। उन इलाकों में केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से 2 फरवरी तक इंटरनेट सेवा पर रोक लगाया गया है। दिल्ली पुलिस की ओर से कई परतों में बैरकेडिंग की गई है। सड़कों पर सीमेंट से कीलें लगवाई गई है, कंटीले तार लगाए गए हैं। साथ ही आंदोलन स्थल पर भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। हालांकि, किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं ले लेती, वे घर नहीं लौटेंगे।