बिहार में इन दिनों बजट सत्र चल रहा है। सत्तारुढ़ पार्टी के नेताओं और विपक्षी पार्टियों के बीच जमकर बयानबाजियां हो रही है। पिछले कई दिनों से सदन में नीतीश कुमार के मंत्री राम सरयू राय के यहां से कथित तौर पर शराब मिलने को लेकर बवाल मचा हुआ है। लेकिन आज बुधवार को बिहार विधानसभा में एक ऐसी घटना घटी, जिसे संविधान के लोकतांत्रिक मूल्यों पर आघात समझा जा सकता है। विपक्षी पार्टियों ने इस मामले को लेकर सरकार पर हमला बोला है।
‘अध्यक्ष जी…आप डायरेक्शन नहीं दे सकते’
दरअसल, नीतीश के मंत्री सदन में ही विधानसभा अध्यक्ष से बदतमीजी करते और हड़काते दिखें। आज बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने मंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) को ऑनलाइन जवाब दाखिल नहीं करने के लिए टोका तो वह गुस्सा गए। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आपका ऑनलाइन जवाब नहीं आ रहा।
इस पर मंत्री ने कहा कि मैंने 16 में से 14 सवालों के ऑनलाइन जवाब दे दिए हैं, आप पता कर लीजिए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुझे अब तक नहीं मिला है। ऐसे में आप विभाग के अधिकारियों से एक बार बात कर लें। सम्राट चौधरी ने कहा, ‘ठीक है बहुत ज्यादा व्याकुल नहीं होना है।‘
जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) भड़क गए और तत्काल मंत्री को उनकी बात के लिए खेद प्रकट करने को कहा। जिस पर नीतीश कुमार के मंत्री (Samrat Choudhary) ने कहा, ‘अध्यक्ष जी ऐसे सदन नहीं चल सकता। आप डायरेक्शन नहीं दे सकते, आप इस तरह सदन नहीं चला सकते। आप समझ लीजिए ऐसे कीजियेगा तो सदन नहीं चलेगा, बहुत व्याकुल नहीं होइए।’ जब मंत्री सम्राट चौधरी नहीं माने तो विधानसभा अध्य़क्ष ने सदन को स्थगित कर दिया।
तेजस्वी ने बोला हमला
इस मामले पर खेद जताते हुए विपक्षी पार्टियों ने नीतीश सरकार को निशाने पर लिया है। सदन में विधानसभा अध्यक्ष के साथ हुई इस घटना पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए इस घटना की निंदा की है।
तेजस्वी यादव ने कहा, ‘मर्माहत हूँ। बिहार में सत्ता पक्ष और मंत्री सदन की गरिमा और आसन की महत्ता को तार-तार कर रहे हैं। सरकार के एक भाजपाई मंत्री अध्यक्ष महोदय की तरफ़ उंगली उठाकर कह रहे है कि व्याकुल मत होईए, ऐसे सदन नहीं चलेगा। कैसे-कैसे लोग मंत्री बन गए हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ज्ञान नहीं?’